शनिवार, 31 दिसंबर 2016

रौंतल गाँव

अपने गाँव रौंतल पर कुछ पंक्तियां

उत्तरकाशी गमरी पट्टी धार ऐंच रौत्यालू गौं छ
रीज जिकुड़ी मा लगदी गौं मा यांकि प्यारु रौंतल नौं छ।।
ज्वान बुड्या नेतो की कोशिश आज सुपिनु सच हवै ग्याई जी
मोटर गाडी गौं पौंछीगी ,  धार बज्यार हवै ग्याई जी ।।

ख़ुशी मनौणी स्वाभाविक छ , दगड़यों लेकिन भूलि नि जाया
रीत रिवाज मुलक की अपड़ी , शहरी हवा मा कबि न उड़ाया
सुविधा भी दुविधा बणी सकदी , मगतु हौंस्यार हवै ग्याई जी
मोटर गाडी गौं पौंछीगी ,  धार बज्यार हवै ग्याई जी ।।

मेलजोल मिश्रा जी बिसरी , नौटियाल जी नौट बगाणा
बिजल्वाणों की रामा रामी , परदेसी का गीत लगाणा
शर्मा बणिगी , बर्मा बणिगी , नेपाली यार ह्वे ग्याई जी
मोटर गाडी गौं पौंछीगी ,  धार बज्यार हवै ग्याई जी ।।

बेटी ब्वारी व्हट्सप वाली , छोरा फेसबुकौन्दा कोच्यां
तांदी रासू छोड़ी बोडा,  डी जे वाला चौक म पौंछयां
नगटा रांक्या नबति छोड़ी ,  अब बेकार  ह्वे ग्याई जी
मोटर गाडी गौं पौंछीगी ,  धार बज्यार हवै ग्याई जी ।।

धवडि लगांदु धार ऐंच बटि केदारी नरसिंग बाबा जी
नागराज जी कुछ त बोला , हालत गौं की हवै या क्या जी
ज्वाला देवी , खणद्वारी माँ देवी  लाचार हवै ग्याई जी
मोटर गाडी गौं पौंछीगी ,  धार बज्यार हवै ग्याई जी ।।

हे भै बंधों देश जाण की रीत पुराणी छा या अपड़ी
दादा परदादा सब गै थै , आग पेट की होंदी नखरी
लेकिन हम अपड़ी माँ छोड़ी , मौस्या प्यार हवै ग्याई जी
मोटर गाडी गौं पौंछीगी ,  धार बज्यार हवै ग्याई जी ।।

मनोज नौटियाल।।
15-12-2016