रविवार, 10 मार्च 2019

जन्मदिन

प्रिय Kailashi Nautiyalजन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं जानेमन ......सुबह सुबह wish करना तो भूल गया 🤣🤣😍😍😍लेकिन ये सुबह का पहला तोहफा तुमको .......

जन्मदिन पर चूँम लूँ आ  ,नर्म हाथों को तुम्हारे
अर्थ मेरी कामनाओं को मिला जिनकी छुवन से ।।

सोचता हूँ एक पत्थर था कभी , मैं ठोकरों का
पूज कर  जिसको किया था प्रेम से तुमने शिवालय
डगमगाते रास्तों पर , साथ मेरे तब चली तुम
लड़खाते पैर मेरे ,      खोजने निकले हिमालय ।।

साथ चलने के वचन , सातों निभाये मीत तुमने
धन्य जीवन कर दिया , अपने मधुरतम आगमन से ।।

चाहती है आज मेरी लेखनी , तुमको लिखे बस
और मेरी कल्पनाएं , आज बस तुमको सजाएं
रस भरी अनुभूतियाँ भी आज न्योछावर तुम्ही पर
काव्य के श्रृंगार की सब वार दूँ  सारी विधाएं ।।

चाहता हूँ , पुण्य सारे ,  धर तुम्हारे शीश पर मैं
प्रीत से अभिषेख कर दूं , आंसुओं की आचमन से ।।

देखती  हैं आज गौरव से ,समय की चाल तुमको
साथ चलने का हुनर , वो सीखना चाहे तुम्ही से
पूछते हैं , धर्म सारे , धर्म का   आधार तुमसे
पथ सही कर्तव्य का वे  , देखना चाहें तुम्ही से ।।

आस्था के फूल से , विश्वाश की थाली सजाकर
देव दें आशीष तुमको इस धरा पर , उस गगन से ।।

आज से ग्यारह बरस पहले , हिमालय से उतर कर
पालकी में, बन दुल्हन , कैलाश आया पास मेरा
पाँव चौखट पर पड़े थे ,शुभ मेरे घर आँगने में
और दे डाला मुझे , खोया हुआ विश्वाश मेरा ।।

आज दो युवराज , पाकर  कृष्ण उद्धव पास अपने
पूर्णता भी ,पूर्ण हो कर ,पूर्ण है अब तृप्त मन से ।।

जन्मदिन पर चूँम लूँ आ  ,नर्म हाथों को तुम्हारे
अर्थ मेरी कामनाओं को मिला जिनकी छुवन से ।।

💖💖💖💖💖💖मानोज💖💖💖💖💖💖💖💖

शनिवार, 9 मार्च 2019

जीवन की अंक गणित

इस जीवन की अंकगणित में जोड़ घटाने की चाहत में
छोटे छोटे गुणा भाग की समीकरण हल कैसे होगी ?

अपने और पराये पन की रोज परीक्षाएं होती हैं
कितना प्यार करें दूजे को रोज समीक्षाएं होती हैं
एक नयाँ बंधन जब बंधन बन कर पीड़ाएँ देता है
मन में एक नएँ  गठबंधन की नव इच्छाएं होती हैं ।।

कुछ खोने के डर से चुप हर रिश्ते सिसकारी लेते हैं
मरे हुए सम्बन्धों के, इस जग में हलचल कैसे होगी ?

शातिर आंखें लगी हुई हैं, सपनों की सौदेबाजी में
अपने ही अपने बैठे हैं   ,अपनों की धोखेबाजी में
चतुराई से पास बिठाया , बाजीगर को बाजीगर ने
दोनों ठगे हुए व्यापारी ,  खुश हैं अपनी बर्बादी में ।।

जल जाने के डर से सबने , सीलन में रहना सीखा है
डरे हुए लोगों के जग में ,   मीरा  पागल कैसे होगी?

मुर्दा एहसासों को तुमको , इक दिन जिंदा करना होगा
आज नहीं तो कल खुद तुमको खुद शर्मिंदा करना होगा
आखिर कब तक ढो पाओगे , ऐसे सम्बन्धों की लाशें
आखिर मन आजाद परिंदा , रिहा परिंदा करना होगा ।।

जग की परम्पराओं में जो , दरिया बन कर मौन हो गया
उसके जीवन की गंगा में , पावन कल-कल कैसे होगी ?
🌹🌹🌹🌹🌹मानोज नौटियाल🌹🌹🌹🌹🌹
10-03-19