tag:blogger.com,1999:blog-76573548605888937062024-02-21T09:01:52.481-08:00मै और मेरी कलम अक्सर जब बातें करते हैं .....http://3.bp.blogspot.com/-s0BEvcuvaPQ/UCflnDNxrLI/AAAAAAAADH8/Z87WqrdN9Sk/s204/india_flag.gifAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/08783625967051992297noreply@blogger.comBlogger138125tag:blogger.com,1999:blog-7657354860588893706.post-44779691235900950942024-01-27T20:03:00.000-08:002024-01-27T20:03:04.708-08:00तुम बिन ध्यान, ध्यान से अपनाबिल्कुल रखना भूल गया हूँ<div>2024 की पहली रचना..... सभी मित्रों के अवलोकनार्थ 😍</div><div><br></div><div>तुम बिन ध्यान, ध्यान से अपना</div><div>बिल्कुल रखना भूल गया हूँ</div><div>तेरी यादों के लश्कर से</div><div>रोज गुजरना भूल गया हूँ।।</div><div><br></div><div>तुमसे मिलवाना भी मेरी किस्मत का इक धोखा था</div><div>हम दोनों ने खुद को आगे बढ़ने से भी रोका था</div><div>काश समझ जाते हम दोनों, अपनी अपनी सच्चाई को </div><div>काश देख पाते पीछे हम, झूठे सच की परछाई को ।।</div><div><br></div><div>सुबह शाम दिन रात हमारी</div><div>बातें ख़तम नहीं होती थी </div><div>अब बस अपने मे गुमसुम हूँ</div><div>बातें करना भूल गया हूँ।।</div><div><br></div><div>टूटे दिल में बची हुई हैँ अब भी कुछ झूठी आशाएं</div><div>अब भी लगता है शायद फिर लौट पुराने दिन आ जाएँ।।</div><div>काश लिपट जाओ आकर तुम भर लो फिर मुझको बाहों में </div><div>सिर्फ तुम्हारी हूँ ये सुनते ही मेरी आँखें भर आएं।।</div><div><br></div><div> मेरी कलम तुम्हे लिखने को</div><div>पूरा दिन व्याकुल रहती है</div><div>लेकिन तुम बिन गीत गजल सब</div><div>पढ़ना लिखना भूल गया हूँ।।</div><div><br></div><div>तुम बिन कुछ भी ठीक नहीं है लेकिन रहना है मजबूरी </div><div>अपनों की खुशियों की खातिर दुख सहना है आज जरूरी</div><div>मेरे मन की दुल्हन हो तुम, तन का क्या है रहे कहीं भी</div><div>यही तपस्या अब जीवन भर दोनों को करनी है पूरी।।</div><div><br></div><div>मैंने ईश्वर से भी ऊपर</div><div>रक्खा है तुमको जीवन में</div><div>पूजा पाठ साधनायें सब</div><div>मन्त्र प्रार्थना भूल गया हूँ।।</div><div><br></div><div>मनोज नौटियाल 17-01-24</div><div>@सर्वाधिकार सुरक्षित</div><div><br></div><div>@फोल्लोवेर्स</div><div>@friends<div>
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiwdivDi5oVxFqY4pN9N-d9WgXW4ffYZ97ZKQKaLAfUsBuUVbd-4SzGggRA-YajBNwHHi-uO3VfyAFM8Oz2PWncifwICuth6ReswqNGjrWJ6WXEOPQwPISkmZ5zVtBAEMZGhBQEPKsMXV0/s1600/hindi.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiwdivDi5oVxFqY4pN9N-d9WgXW4ffYZ97ZKQKaLAfUsBuUVbd-4SzGggRA-YajBNwHHi-uO3VfyAFM8Oz2PWncifwICuth6ReswqNGjrWJ6WXEOPQwPISkmZ5zVtBAEMZGhBQEPKsMXV0/s1600/hindi.jpg" height="223" width="320"></a></div>
<br style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 17px;"><br style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 17px;"><span style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 17px;"><br></span><br>
<span style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 17px;"><br></span>
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<span style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 17px;"><br></span>
<span style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 17px;">जूनून -ए-इश्क में आबाद ना बर्बाद हो पाए </span><br style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 17px;"><span style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 17px;">मुहब्बत में तुम्हारी कैद ना आज़ाद हो पाए ||</span><br style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 17px;"><br style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 17px;"><span class="text_exposed_show" style="background-color: white; color: #333333; display: inline; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 17px;">कहानी तो हमारी भी बहुत मशहूर थी लेकिन<br>जुदा होकर न तुम शीरी न हम फरहाद हो पाए ||<br><br>न कुछ तुमने छुपाया था न कुछ हमने छुपाया था<br>न तुम हमदर्द बन पाए ना हम हमराज हो पाए ||<br><br>जुदाई के लिए हम तुम बराबर हैं वजह हमदम<br>जिरह तुम भी न कर पाए न हम जांबाज हो पाए ||<br><br>ग़लतफहमी हमारे दरमियाँ बेवजह थी लेकिन<br>न तुम आये मनाने को न हम नाराज हो पाए ||<br><br>गुरूर -ए-हुश्न में तुम थे गुरूर-ए-इश्क में हम थे<br>न हम नाचीज कह पाए न तुम नायाब हो पाए ||<br><br><br>अभी भी याद आती है नजर की वो खता पहली<br>न तुम नजरे झुका पाए न हम आदाब कह पाए ||<br><br>जूनून -ए-इश्क में आबाद ना बर्बाद हो पाए<br>मुहब्बत में तुम्हारी कैद ना आज़ाद हो पाए ||................ manoj</span></div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08783625967051992297noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-7657354860588893706.post-57737344907333200662024-01-17T19:37:00.001-08:002024-01-17T19:37:26.728-08:00वांछाकल्पलता_साधना<div>#वांछाकल्पलता_साधना।। कल्प वृक्ष यंत्र</div><div> वांछा शब्द का तात्पर्य है, मनुष्य की इच्छा अभिलाषा, कामना और ‘कल्पलता’ शब्द का मतलब हैं. कल्प वृक्ष जैसे महत्वपूर्ण दैवी वृक्ष से।</div><div><br></div><div>इसका तात्पर्य यह है कि यह कल्पवृक्ष के समान है और साधना करने वाले की सभी प्रकार की कामनाओं को पूर्ण करने की सामर्थ्य एवं शक्ति रखता है।</div><div><br></div><div>इस मंत्र की 1 माला नित्य पीली हकीक माला से वांछा कल्पलता गुटिका के सामने उच्चारण करने से साधक के सभी मनोरथ पूर्ण होते ही हैं |</div><div><br></div><div>तांत्रिक ग्रंथों में इसके बारे में बताया गया है –</div><div><br></div><div>वांछा कल्पलतायास्तु न होमो न च तर्पणम्।</div><div>स्मरणदेव सिद्धि: स्यात यदिच्छति हि तद्भवेत् ।।</div><div><br></div><div>एकावृत्या वशे लक्ष्मी: पंचावृत्या वश जगत्।</div><div>दशावृत्या तथा विष्णुरूद्रशक्ति र्भवेदिह।।</div><div><br></div><div>सार्वभौमः शतावृत्या भवत्येव न संशय ।।</div><div><br></div><div>अर्थात् यह वांछा कल्पलता साधना विश्व की दुर्लभ साधना है, इसके प्रयोग में होम या तर्पण करने की जरूरत नहीं होती, केवल इस मंत्र के जपने से ही साधक की प्रत्येक इच्छा पूरी हो जाती है। </div><div><br></div><div>इस मंत्र की एक आवृत्ति से लक्ष्मी प्राप्ति होती है, पांच आवृत्तियों से भगवान विष्णु और रूद्र की शक्ति प्राप्त होती है। </div><div><br></div><div>इसी प्रकार यदि कोई साधक इसकी सौ आवृत्तियां कर ले तो वह संसार में सम्माननीय होता है, इसमें कोई दो राय नहीं।</div><div><br></div><div>तंत्र सार ग्रंथ में इसे साधना के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य स्पष्ट किये हैं, उसके अनुसार –</div><div><br></div><div>1-यदि इस मंत्र की केवल एकमाला मंत्र जप कर अर्थात् 108 बार उच्चारण कर किसी से भी मिलने के लिए जावे और कोई भी कार्य कहे तो सामने वाला तुरन्त कार्य कर देता है।</div><div><br></div><div>2-यदि शक्कर की बनी किसी चीज (बतासा आदि) पर नाम ले कर मात्र 11माला जप कर वह चीज उसे खिला दे तो निश्चय ही वह अनुकूल हो जाता है।</div><div><br></div><div>3-यदि इस मंत्र को गुलाब के पुष्पों के सामने पांच माला मंत्र जपकर, वे गुलाब के पुष्प दुकान या फैक्टरी में बिखेर दे तो दुकान पर किया गया तांत्रिक प्रयोग समाप्त हो जाता है और व्यापार में आश्चर्यजनक वृद्धि होने लगती है।</div><div><br></div><div>4-यदि तांबे के गिलास में पानी भर कर इस मंत्र का 21 बार उच्चारण कर वह पानी रोगी को पिला दिया जाय तो उसका रोग ठीक होने लगता है।</div><div><br></div><div>5-यदि काली मिर्च के 101 दानों पर नाम ले कर इस मंत्र की 15 माला मंत्र जप कर वे काली मिर्च के दाने शत्रु के घर में किसी प्रकार से फैंक दिये जाय तो लक्ष्मी का नाश हो जाता है तथा घर में कलह लड़ाई बढ़ जाती है।</div><div><br></div><div>6-यदि इलायची के पांच दानों पर इस मंत्र की एक माला मंत्र जप कर इलायची के दाने रजस्वला समय में स्त्री को तीन दिन तक खिलाये जाय तो निश्चय ही उसके गर्भधारण होता है।</div><div><br></div><div>7-यदि वांछा कल्पलता यंत्र के सामने तेल का दीपक लगाकर नित्य तीन माला मंत्र 11 दिन तक करें तो सभी प्रकार का राज्य भय समाप्त हो जाता है और स्थितियां अनुकूल होने लगती है।</div><div><br></div><div>वांछा’ कल्पलता ध्यान</div><div><br></div><div>श्रीविद्या ब्रह्म-विद्या च व्याप्तं ये सचराचरं।</div><div>निर्द्धन्द्धा नित्य-सन्तुष्टा निर्मोहा निरूपाधिका ॥</div><div>कामेश्वरी मनोऽभीष्ट कामेश्वर स्वरूपिणी।</div><div>दीपक नमस्तेऽनन्त-रूपायै प्रसीद सुप्रसीद मे।। </div><div><br></div><div>वांछा’ कल्पलता मंत्र-</div><div><br></div><div>श्रीं श्रीं श्रीं, ह्रीं ह्रीं ह्रीं , क्लीं क्लीं क्लीं, ऐं ऐं ऐं,सौः सौः सौः,ॐ ॐ ॐ ह्रीं ह्रींह्रीं, श्रीं श्रीं श्रीं, कं कं कं,एं एं एं ईं ईं ईं , लं लं लं, ह्रीं ह्रीं ह्रीं, हं हं हं, सं सं सं, कं कं कं, हं हं हं. लं लं लं, ह्रीं ह्रीं ह्रीं, सं सं सं, कं कं कं,लं लं लं, ह्रीं ह्रीं ह्रीं. सौ: सौ: सौ., ऐं ऐं ऐं, क्लीं क्लीं क्लीं, ह्रीं ह्रीं ह्रीं, श्रीं श्रीं श्रीं प्रसीद प्रसीद, मम मनो ईप्सितं कुरु कुरु स्वाहा |</div><div><br></div><div>shreem shreem shreem, hreem hreem hreem , kleem kleem kleem, aing aing aing, sauh sauh sauh,om om om hreem hreem hreem, shreem shreem shreemn, kam kam kam,aim aim aim eem eem eem , lam lam lam, hreem hreem hreem, ham ham ham, sam sam sam, kam kam kam, ham ham ham.lam lam lam, hreem hreem hreem, sam sam sam, kam kam kam,lam lam lam, hreem hreem hreem. sau: sau: sau.:, aing aing aing, kleem kleem kleem, hreem hreem hreem, shreem shreem shreem praseed praseed, mam mano eepsitam kuru kuru svaaha. </div><div>~~~``b```~~~~`d```~~~~`````v~~~~~~</div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08783625967051992297noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7657354860588893706.post-84188065972255801852023-04-11T21:05:00.001-07:002023-04-11T21:05:49.839-07:00कल तक जिसने मुझको <div>कल तक जिसने मुझको अपने जीवन का आधार कहा था </div><div>रिश्तों का त्यौहार कहा था , मन मंदिर का द्वार कहा था </div><div>आज सुना है, रोज डराती हैं, उसको मेरी परछाई </div><div>जिसने मुझको अपने जीवन का अनुपम उपहार कहा था ||</div><div><br></div><div>जिसने रिश्तों के बंधन का भवसागर मुझको समझाया </div><div>जिसने सुख दुःख में बोला था साथ रहूंगी बन कर साया </div><div>लेकिन आज बुना है उसने ही काँटों का ताना बाना </div><div>जिसने कल तक मुझको अपने आँगन की तुलसी बतलाया ||</div><div><br></div><div>जो भी है अब , लेकिन इतना ,सुन लो अंतिम उच्चारण है </div><div>सूर्पणखा तुम मत बन जाना , क्रूर बहुत ये अहिरावण है </div><div>खुश रहना तुम रहने देना , मुझको मौन फकीरों जैसा </div><div>सब षड्यंत्र त्याग दो अपने , यही बगावत का कारण है</div><div>...मनोज</div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08783625967051992297noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7657354860588893706.post-6994241483440416552022-05-25T19:14:00.001-07:002022-05-25T19:14:02.970-07:00मायावी सपना <div>#एक_ताजा_गीत_आप_सभी_के_मन_के_द्वार</div><div>🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁</div><div><br></div><div>बरसों से जो देख रही थी , ये आँखें मायावी सपना </div><div>रात खुली वो सच्चाई का हाथ थाम कर दूर हो गया ।।</div><div><br></div><div>मैं हठयोगी सा बैठा था ,जिस सिंदूरी चंदन वन में </div><div>जाने कितने नाग विषैले लिपटे थे सबकी डाली में</div><div>मेरे सभी मनोरथ मन के , तन पर मायूसी ओढ़े थे </div><div>संयम के भुजबन्द खड़े थे, युगों युगों से रखवाली में।।</div><div><br></div><div>मैं अपने पौरुष को निर्बल, होते कैसे देख सकूंगा ?</div><div>यही सोच मैं सारा जीवन , अहंकार में चूर हो गया ।। </div><div><br></div><div>रोज पूछता रहा रास्ते, मैं अपनी ही परछाई से </div><div>एक अमावस्या में वो भी , कृष्ण पक्ष के साथ हो गई </div><div>मेरे सभी आस्थाओं के, दीपक भी तो निर्मोही थे </div><div>दीपशिखाएँ उनकी जलकर , पल भर में ही राख हो गई ।</div><div><br></div><div>अंधकार में गिरकर उठने, उठ कर गिरने से डरता था </div><div>इसीलिए मैं एक जगह पर, खड़े खड़े मजबूर हो गया ।।</div><div><br></div><div>और छलावे ना छल लें , अब मेरे मन की सच्चाई को</div><div>आने वाले किरदारों को , अब खुद ही रचने बैठा हूँ </div><div>अब बनवास नहीं देना है , किसी कैकई ने राघव को </div><div>उनके जीवन की रामायण अब खुद ही लिखने बैठा हूँ ।।</div><div><br></div><div>आये आकर चले गए जो , उनसे सीखा आना जाना </div><div>इसीलिए मैं आज शहर में , बिना बात मशहूर हो गया ।।</div><div><br></div><div>जो अनुभव की पीड़ा मैंने , संचित की है इस झोली में </div><div>सोच रहा हूँ वर्षों से मैं , इसको कहीं विसर्जित कर दूं </div><div>खुद ही खुद को तर्पण दे दूं , अपने जीवन की गंगा में </div><div>खुद्दारी के अग्नि कुंड में , प्रेम आहुति अर्पित कर दूं ।। </div><div><br></div><div>कहते हैं जो अपनी सारीजीवन पुस्तक खुद लिखते हैं </div><div>वो दुनियाँ से जाने पर भी , इस दुनियां का नूर हो गया ।।</div><div><br></div><div>🍂🍂🍂🍂🍂@सर्वाधिकार सुरक्षित🍂🍂🍂🍂</div><div>🌺🌺🌺🌺🌺🌺मनोज नौटियाल🌺🌺🌺🌺🌺</div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08783625967051992297noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7657354860588893706.post-67804378402249297152022-02-08T01:30:00.001-08:002022-02-08T01:30:58.510-08:00धैर्य के दीप को तुम बुझाना नहीं <div>धैर्य के दीप को तुम बुझाना नहीं </div><div>रात का आखिरी अब पहर शेष है</div><div>मौत को सोचने की जरुरत नहीं</div><div>जिंदगी की अभी दोपहर शेष है ।।</div><div><br></div><div>सत्य के सेतु पर तुम स्वयं धर्म हो </div><div>तुम स्वयं कर्म फल तुम स्वयं कर्म हो </div><div>स्वार्थ के इस भयानक कुरुक्षेत्र में </div><div>भाग्य के देवता का तुम्ही मर्म हो ।।</div><div><br></div><div>प्रीत के गीत में सत्य मिल जाएगा</div><div>कृष्ण की अनकही कुछ बहर शेष हैं </div><div>धैर्य के दीप को तुम बुझाना नहीं </div><div>रात का आखिरी अब पहर शेष है।।</div><div><br></div><div>तू स्वयं में स्वयं को स्वयं खोज ले </div><div>मैं छिपा है जहाँ वो भरम खोज ले </div><div>छोड़ कर धारणाये सभी ज्ञान की </div><div>घोर अज्ञानता में धरम खोज ले ।।</div><div><br></div><div>दो कदम पर हिमालय खड़ा शांति से </div><div> बस अहंकार का इक शहर शेष है </div><div> धैर्य के दीप को तुम बुझाना नहीं </div><div>रात का आखिरी अब पहर शेष है।।</div><div><br></div><div>एक उत्तर मिलेगा जगत से कभी</div><div>राम के कृष्ण के उस भगत से कभी</div><div>है छिपा वो तेरे प्रश्न में ही कहीं </div><div>खोज ले पारखी बन जुगत से कभी।।</div><div><br></div><div>कामना के कलश में विषय भोग की </div><div> वासना का हलाहल जहर शेष है</div><div> धैर्य के दीप को तुम बुझाना नहीं </div><div>रात का आखिरी अब पहर शेष है।।</div><div><br></div><div>मनोज नौटियाल </div><div>08-02-2017</div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08783625967051992297noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7657354860588893706.post-56962868214234781822021-08-16T19:45:00.001-07:002021-08-16T19:45:12.540-07:00मेरा होना <div>मेरा होना और तुम्हारा होना भी संयोग हुआ है </div><div>इस धरती पर अपना मिलना जीवन का दुर्योग हुआ है ।।</div><div>तुम चाहत हो अंतर्मन की , एक मेरा चाहत का गढ़ है </div><div>ये कैसा है , आखिर क्यों है , ऐसा ये प्रयोग हुआ है ।।</div><div>मैं सबका हूँ , या बैरागी , मेरी ये पहचान नयी है </div><div>लेकिन तुमको ना छोडूंगा , किस्मत का सहयोग हुआ हैं।।</div><div>आ जाऊंगा ,ले जाऊंगा ,इतनी तो औकात बनी है </div><div>तेरे घर मे थोड़ा ही क्यों मेरा तो उपयोग हुआ है।।</div><div>कैलाशी को बस समझा है मुझको इतना सा अफसाना </div><div>तू है तो जन्नत में हूँ, मैं अगर नही तो योग हुआ है।।</div><div>गलती क्या है ये बतला दे , मेरे प्यारे अहसासों को</div><div>तुमने बिन सोचे ही समझे बोला की संभोग हुआ है ।।</div><div>मैं रहता हूँ सबके दिल मे , दिल मेरा भी बड़ा घरौंदा </div><div>मेरे अंतर्मन से मुझको , रोज हुआ सहयोग हुआ है ।। </div><div>तुम कहती हो भूलो उसको , क्यों भूलूँ ये तो बतला दो</div><div>मेरे जीवन की बस्ती में , पूजा का विनियोग हुआ है ।।</div><div>अब ये यार भी जान गए हो , मैं पूरा बैरागी ही हूं</div><div>मेरे सपनों की धरती का , तुमसे ही हरि ॐ हुआ है ।।</div><div><br></div><div>@ मनोज नौटियाल</div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08783625967051992297noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7657354860588893706.post-20671132308547123392021-06-07T23:35:00.001-07:002021-06-07T23:35:51.169-07:00सोचता हूँ<div>सोचता हूँ देखता हूँ , समझ भी काफी मिली है</div><div>वर्ष बीते तो बता दूं , ये जवानी भी ढली है।।</div><div>एक अरसे से मिली थी जो कमाई इश्क की </div><div>आज भी उस इश्क की , दिल में अदाएं मनचली हैं ।।</div><div>एक डोली में शिवालय आ गया था पास मेरे </div><div>आज भी कैलाश वाशी एक मेरी ही कली है।।</div><div>क्या बताऊँ एक ख्वाहिश थी हमेशा ख्वाब सी</div><div>खोज मेरी आज मेरे पास मेरी अनकही है।।</div><div>कौन समझेगा मुझे क्या किसी को दूं सफाई</div><div>मैं रहूं या ना रहूं ये ख्वाब ही तो जिंदगी है।।</div><div>एक लम्हा भी कभी गर जिंदगी का मैं टटोलूँ </div><div>हर खुशी के साथ गम भी लाजमी से आखरी है।।</div><div>कुछ समझना चाहते होंगे कहानी जिंदगी की</div><div>जिंदगी मिझको समझने के लिए ही अनकही है।।</div><div>मैं हमेशा सोचता हूँ क्या गलत है पास मेरे </div><div>देखता हूँ तो पता ये जिन्दंगी ही तो सही है।।</div><div>फर्क अपने आप में बस आज ये पाया कसमसे</div><div>मैं रहूं तो कल वही है ना रहूं तो कुछ नहीं है।। </div><div>जन्मदिन की भेंट मुझको दे सको तो एक देना </div><div>क्या तुम्हारे जन्म दिन में उम्र कम होती नहीं है?</div><div><br></div><div>मनोज</div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08783625967051992297noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7657354860588893706.post-20834996771002404702020-09-20T21:00:00.001-07:002020-09-20T21:00:22.038-07:00सम्मोहन<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgHUDrk64eyCR4pDO1oTWqOkd-wGPfgnuPYs5QHXDa1kxAOmKroYMzHn8BCYIjqRpSQ2GMo_nJWryiqJCwzKTavzjxR7hqOFuYMFAeOG9OpeBajiRAwNHFlwt5aYIMW4e7U8YkHcu26RCM/s1600/1600660816059913-0.png" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;">
<img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgHUDrk64eyCR4pDO1oTWqOkd-wGPfgnuPYs5QHXDa1kxAOmKroYMzHn8BCYIjqRpSQ2GMo_nJWryiqJCwzKTavzjxR7hqOFuYMFAeOG9OpeBajiRAwNHFlwt5aYIMW4e7U8YkHcu26RCM/s1600/1600660816059913-0.png" width="400">
</a>
</div><div>सुप्रभातम मित्रों , जय माता दी ।</div><div><br></div><div>बड़ी प्रसिद्ध लोकोक्ति है कि , " आपका व्यवहार ही आपका परिचय है "।</div><div><br></div><div>तंत्र में सम्मोहन शक्ति एवं इस शक्ति को बढ़ाने तथा इसके चमत्कारिक लाभ का वर्णन काफी मिलता है । </div><div>बहुत सी साधना , टोटके तथा विभिन्न प्रकार की दुर्लभ जड़ी बूटियों द्वारा सम्मोहन शक्ति को बढाने के हजारों उपयोग तंत्र में बताए गए हैं ।</div><div><br></div><div>वैदिक सनातन शास्त्र में वाणी में माँ सरस्वती का वास बताया गया है एवं , मनभावन वाणी द्वारा इंसान ही नहीं बल्कि किसी भी जीव जंतु को आप वश में कर सकते हैं ।</div><div><br></div><div>दोस्तों , हम अक्सर कई बार महसूस करते हैं , अथवा बहुत से मित्र हैं जो कई वर्षों से अपने कार्य क्षेत्र में कार्यरत हैं किंतु उनका सामाजिक दायरा बढ़ता ही नहीं है । जिस व्यक्ति से वे एक बार मिलते हैं , वह व्यक्ति धीरे धीरे उनसे कटने लगता है । </div><div><br></div><div>ऐसे मित्रों के मित्र अथवा जानकार भी बहुत सीमित होते हैं अथवा जो मित्र होते भी हैं ,वे संख्या में बहुत कम होते हैं । </div><div><br></div><div>इस लेख में मैं ऐसे मित्रों को कुछ अपने अनुभव से प्राप्त तथा बुद्धिजीवी संत , महात्माओं की यस्तकों से पढ़े हुए अनुभवों के आधार पर कुछ सूत्र बताऊंगा जो उनकी इस परेशानी का हल निश्चित रूप से कर देंगे । </div><div><br></div><div>1. सर्वप्रथम ज्योतिष के अनुसार , बुद्ध एवम शुक्र ग्रह को हमारे व्यक्तित्व एवं वाक शक्ति तथा बुद्धि का कारक माना जाता है । </div><div>जो मित्र , लोगों से जुड़ नहीं पाते अथवा लोग उनसे अकारण कटने लगते हैं तथा दूर होने लगते हैं , वे अपनी पत्रिका में बुद्ध एवम शुक्र की स्थिति का पता किसी योग्य ज्योतिषी से करवाकर उससे संबंधित उपाय करके लाभ ले सकते हैं ।</div><div><br></div><div>सामान्यतः , बुद्ध एवं शुक्र ग्रह को शुभ करने के लिए , साफ स्वच्छ जीवन शैली , वस्त्र चमकदार तथा light color के कपड़े पहनें , केसर का तिलक लगाएं , गणेश एवं दुर्गा की नियमित उपासना करें , सूर्य को जल दें , पन्ना , फिरोजा और ओपल पहनें । </div><div><br></div><div>नोट- कोई भी रत्न अथवा अन्य वैदिक या तांत्रिक उपाय करवाने से पहले , अपनी पत्रिका का किसी योग्य जानकार ज्योतिषी से अध्ययन अवश्य करवाएं । </div><div><br></div><div>2. तंत्र एवं वैदिक विचारधारा के अनुसार "मौन व्रत " सम्मोहन क्षमता विकसित करने में जबरदस्त योग है ।</div><div> यदि संभव हो तो हफ्ते में 1 पूरे दिन मौन रहने का प्रयास करें , किन्तु आजकल यह सबके लिए संभव नहीं है एसलिये , कमसे कम सुबह शाम 1 घंटे एक जगह पर शांत हो कर मौन का अभ्यास करें । </div><div><br></div><div>नोट- मौन साधना का मतलब है सिर्फ मुहँ बंद नहीं बल्कि मन के विचारों को भी जितना संभव हो शांत करें , आंतरिक शोर आजकल हर मनुष्य में इतना अधिक है कि वह शोर हमारे बोलने से भी ज्यादा खतरनाक है । </div><div><br></div><div>3- "त्राटक " साधना से सम्मोहन शक्ति सबसे जल्दी विकसित होती है । त्राटक हेतु अपनी योग्यता के लिए किसी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें । बिंदु त्राटक , या दीपक पर त्राटक करना अधिकतर मामलों में लाभ की जगह भयानक हानि दे सकता है , एसलिये किसी किताब पे पढ़ कर मनमर्जी से इस चक्कर मे ना पड़ें।</div><div><br></div><div>4- अंतिम बात , जो सामान्य मनोविज्ञान से सम्बंधित है । </div><div>वो ये कि , कभी भी अपने विचार अथवा अपनी धारणा किसी पर थोपने की कोशिश ना करें । दूसरे को अधिक से अधिक सुनने की कोशिश कीजिये । वाद विवाद से बचें , दूसरे के विचारों का सम्मान करें , या फिर यदि आप किसी के विचारों से सहमत नहीं हैं तो उनका विरोध या फ़िर विवाद करने की बजाय शांति से बस मुस्कुरा कर के दूसरे की बात को माने बिना चुप हो जाएं । </div><div> दोस्तों , हम अक्सर खुद की जांच पड़ताल से ज्यादा दूसरे की आदतों और दूसरे की गलतियों को खोजने में ज्यादा व्यस्त हो जाते हैं , जिस कारण हम धीरे धीरे एक ऐसे अहंकार से भर जाते हैं कि हमे अपनी गलती और अपने दुर्गुणों का पता ही नहीं चल पाता । </div><div><br></div><div>याद रखें दोस्तों " ज्ञानी , उच्चकुल में जन्म , वेदपाठी , नीतिज्ञ , होने के बाद भी रावण को सिर्फ उसका अहंकार और दूसरे को हमेशा गलत समझने की आदत ने पतन कर दिया । </div><div><br></div><div>जय श्री राम ।</div><div>जयमहाकाल काली ।</div><div>मानोज नौटियाल </div><div>तंत्र , वैदिक ज्योतिष एवं ध्यान विशेषज्ञ </div><div>चंडीगढ़ </div><div>9041032215</div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08783625967051992297noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7657354860588893706.post-2237579274411216472020-05-13T23:28:00.001-07:002020-05-13T23:28:44.978-07:00मूल नक्षत्र वेद मंत्र<p dir="ltr"><b>मूल नक्षत्र वेद मंत्र</b></p>
<p dir="ltr"><b>ॐ मातेवपुत्रम पृथिवी पुरीष्यमग्नि गवं स्वयोनावभारुषा तां</b></p>
<p dir="ltr"><b>विश्वेदैवॠतुभि: संविदान: प्रजापति विश्वकर्मा विमुञ्च्त ।</b></p>
<p dir="ltr"><b>ॐ निॠतये नम: ।</b></p>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08783625967051992297noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7657354860588893706.post-46835611356379339982020-04-27T19:23:00.001-07:002020-04-27T19:23:37.329-07:00मृत्यु सभा (कविता)<p dir="ltr">थक कर मृत्यु सभा में सबको रुकना होगा चलते चलते <br>
चिता चपल की लपटों में तन राख बनेगा जलते जलते || <br>
<br>
दुनिया दारी की बाजारी अंकगणित का प्रश्न नहीं है <br>
रिश्तों की घट जोड़ उधारी स्वार्थ रहित शुभ स्वप्न नहीं है <br>
अपने मन के बीतराग को कौन समझ सकता है बेहतर <br>
आत्म तत्व की सहज समाधि नहीं मिली माया में रहकर || <br>
<br>
बूढा वृक्ष बनेगा यह तन इक दिन आखिर झुक जाएगा <br>
जीवन नभ में लाल आवरण फैलेगा दिन ढलते ढलते || <br>
<br>
राग द्वेष से उपजा छल बल दान दंभ का ही देता है <br>
मन कल्मष करता है केवल मान भंग निश्चित होता है <br>
प्रेम मन्त्र है मानव् सेवा आत्म तुष्टि का मूल यही है <br>
परहित की हो तीव्र पिपाशा सत्य धर्म प्रतिकूल यही है || <br>
<br>
पञ्च तत्व का भौतिक दर्शन यह तन सत्य नहीं है बंधू <br>
आत्म बोध के अभिलेखों को पढ़ते जा नित बढ़ते बढ़ते || <br>
<br>
रंगमंच में हर नाटक का केंद्रबिंदु ज्यूँ अभिनेता है <br>
उस ईश्वर के अंशी हैं हम पात्र वही हमको देता है <br>
दुःख सुख की दोलन शाला में दर्शक भी तू नर्तक भी तू <br>
आंसू हो या हंसी लबों पर भोगों का प्रवर्तक भी तू || <br>
<br>
कितने ही सरताज हुए हैं , बड़े बड़े थे शाह शिकंदर <br>
आखिर क्या पाया उन सब ने मानवता से लड़ते लड़ते ||......मनोज</p>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08783625967051992297noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-7657354860588893706.post-91160549525962817932020-04-09T13:19:00.001-07:002020-04-30T04:14:06.311-07:00तुम्ही सुरक्षित रखना अब ये मेरी लिखी हुई कविताएं ।।<p dir="ltr">इससे पहले कोई आकर , चुरा न ले मेरी रचनाएं <br>
तुम्ही सुरक्षित रखना अब ये मेरी लिखी हुई कविताएं ।।</p>
<p dir="ltr">लिखती रही युगों से तुम पर ,मेरी ये गुमनाम लेखनी <br>
तुम्हे नायिका बना बनाई , अलंकार की अद्भुत वेणी<br>
रस के सागर में , ना जाने , कितने रास रचाये मैने <br>
और छंद के बन्ध बनाकर , कितने  मंगल गाये मैंने।।</p>
<p dir="ltr">कहीं और कोई मेरे इन  , गीतों पर मोहित हो जाएँ  <br>
तुम्ही सुरक्षित रखना अब ये मेरी लिखी हुई कविताएं ।।</p>
<p dir="ltr">अपनी रचनाओं की खातिर , सागर से गहराई मांगी <br>
कुम्हलाऐं ना गीत कभी भी , बादल से परछाई मांगी <br>
पूरनमासी की किरणों से अद्भुत रूप तुम्हारा मांगा <br>
कामदेव की सभी कामनाओं का मौन सहारा मांगा।।</p>
<p dir="ltr">तुम से शुरू, तुम्ही पर, पूरी होती हैं सारी उपमाएं<br>
तुम्ही सुरक्षित रखना अब ये मेरी लिखी हुई कविताएं ।।</p>
<p dir="ltr">मेरी कुछ रातों की नींदें , इन गीतों के संग जागी हैं<br>
कुछ मासूम ख्वाहिशें मेरी , तन्हाई से डर भागी हैं <br>
आंखों से आँसू बन सावन , बरसा  है मेरे आंगन में<br>
कई ख्वाब टूटे  बिखरे हैं , सूनी आंखों के दर्पण में ।। </p>
<p dir="ltr">इस खालीपन की सीलन से कहीं गीत मुरझा ना जाएँ <br>
तुम्ही सुरक्षित रखना अब ये मेरी लिखी हुई कविताएं।</p>
<p dir="ltr">फुरसत हो तो कभी बैठ कर ,पढ़ लेना मेरी कविताएं<br>
मेरी निश्छल मन की पीड़ा , की साथी हैं  ये रचनाएं <br>
मेरी व्याकुलता की गिजबिज आवाजें हैं सिसकारी है<br>
मैं माली उस बगिया का जो किसी और की फुलवारी है</p>
<p dir="ltr">अब तुम ही रखवाली करना, और तुम्हे ही ये महकाएं<br>
तुम्ही सुरक्षित रखना अब ये मेरी लिखी हुई कविताएं ।।</p>
<p dir="ltr">🌺🌺🌺🌺  @सर्वधिकार सुरक्षित🌺🌺🌺🌺<br>
      🍁🍁🍁🍁मनोज नौटियाल🍁🍁🍁🍁<br><br><br><br><br><br></p>
<p dir="ltr">  <br>
  </p>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08783625967051992297noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7657354860588893706.post-77340209496582491442020-01-06T01:13:00.001-08:002020-01-06T01:13:45.204-08:00धूप का चश्मा<p dir="ltr">हमेशा धूप का चश्मा , मेरा छाता पुराना तू <br>
तुझे पाना , तुझे जाना ,मेरी जाना हमेशा तू ।।</p>
<p dir="ltr">कमीना हूँ , नगीना हूँ , तुम्हारी जिंदगी भी हूँ<br>
कभी योगी , कभी जोगी , मेरी सजना हमेशा तू।।</p>
<p dir="ltr">बहुत कुछ खो दिया मैंने , तुझे अपना बनाने में <br>
सियासत तू , कयामत तू, मेरा सब कुछ कमाना तू।।</p>
<p dir="ltr">नफा नुकसान जब जोड़ा , इनायत तू बनी जग में <br>
मेरी पहली अंगूठी तू , मेरा पहला नगीना तू।।</p>
<p dir="ltr">तुझे मजदूर बन कर मैं , धियाड़ी ही समझता हूँ<br>
मेरी किस्मत , मेरी हिम्मत , मेरा पहला पसीना तू।।</p>
<p dir="ltr">तुझे मुझसे शिकायत है , मुझे अय्यास कहती हो <br>
तुझे ही सोचता हूँ ,बस तेरा हमदम कमीना हूँ ।।</p>
<p dir="ltr">जय हो ......<br>
जय हो.......</p>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08783625967051992297noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7657354860588893706.post-54891090210885438312020-01-06T01:12:00.001-08:002020-01-06T01:12:17.140-08:00मन प्यासा<p dir="ltr">मित्र ग़ाज़ियाबादी जी की लिखी दो पंक्तियों पर मेरी गुस्ताखी .....<br>
क्यूँ न मन मेरा प्यासा हो ?<br>
जन्मों की तुम अभिलाषा हो ।</p>
<p dir="ltr">समीकरण सी दुनियाँ दारी<br>
धर्मों की तुम परिभाषा हो ।।</p>
<p dir="ltr">शून्य जगत है , और जगत में <br>
तुम जीवन की , जिज्ञासा हो ।।</p>
<p dir="ltr">मैं हूँ पांडव , की निर्धनता <br>
तुम , उस घर की , दुर्वासा हो।।</p>
<p dir="ltr">मित्र , गाजियाबाद, हमारा <br>
तुम उस घर की ,इक आशा हो।।</p>
<p dir="ltr">जय हो ,😍😍😍😍😍</p>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08783625967051992297noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7657354860588893706.post-48126740770209910902019-05-11T18:54:00.001-07:002019-05-11T18:54:10.474-07:00वैसे तो जीवन की ...... अय्यारी में ।<p dir="ltr"><br>
पूर्व में लिखित एक रचना <br>
💖💖💖💖💖💖💖💖💖</p>
<p dir="ltr">वैसे तो जीवन की आधी उम्र कटी है अय्यारी में <br>
रावण भी था राघव भी था , मैं अपनी दुनियादारी में।।</p>
<p dir="ltr">डूब रही हो नाव , खिवय्या, तिनका भी तो बन जाता है <br>
तिनका ,तिनका तरसा हूँमैं ,अपनों की केसर क्यारी में ।।<br>
जख्म अधूरे देकर ,उसने जिंदा छोड़ दिया था मुझको <br>
जिनको अपना मान ,चला था , अव्वल थे वो गद्दारी में।।</p>
<p dir="ltr"> किस्मत के अवशेष फैसले , रहने ही दो तो अच्छा है <br>
खाता , बही , सुरक्षित हैं सब , यादों की अलमारी में ।।</p>
<p dir="ltr">तुरपन रिश्तों की मत खोलो ,अच्छा है कुछ ना ही बोलो<br>
आह दबी ही रह जाती है , दर्द छलकता ,सिसकारी में ।।<br>
****************मानोज****************<br><br><br><br><br></p>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08783625967051992297noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7657354860588893706.post-73743094446249484042019-03-10T19:34:00.001-07:002019-03-10T19:34:59.129-07:00जन्मदिन <p dir="ltr"><u>प्रिय</u> Kailashi Nautiyalजन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं जानेमन ......सुबह सुबह wish करना तो भूल गया 🤣🤣😍😍😍लेकिन ये सुबह का पहला तोहफा तुमको .......</p>
<p dir="ltr">जन्मदिन पर चूँम लूँ आ  ,नर्म हाथों को तुम्हारे <br>
अर्थ मेरी कामनाओं को मिला जिनकी छुवन से ।।</p>
<p dir="ltr">सोचता हूँ एक पत्थर था कभी , मैं ठोकरों का <br>
पूज कर  जिसको किया था प्रेम से तुमने शिवालय<br>
डगमगाते रास्तों पर , साथ मेरे तब चली तुम <br>
लड़खाते पैर मेरे ,      खोजने निकले हिमालय ।।</p>
<p dir="ltr">साथ चलने के वचन , सातों निभाये मीत तुमने <br>
धन्य जीवन कर दिया , अपने मधुरतम आगमन से ।।</p>
<p dir="ltr">चाहती है आज मेरी लेखनी , तुमको लिखे बस <br>
और मेरी कल्पनाएं , आज बस तुमको सजाएं<br>
रस भरी अनुभूतियाँ भी आज न्योछावर तुम्ही पर <br>
काव्य के श्रृंगार की सब वार दूँ  सारी विधाएं ।।</p>
<p dir="ltr">चाहता हूँ , पुण्य सारे ,  धर तुम्हारे शीश पर मैं <br>
प्रीत से अभिषेख कर दूं , आंसुओं की आचमन से ।।</p>
<p dir="ltr">देखती  हैं आज गौरव से ,समय की चाल तुमको <br>
साथ चलने का हुनर , वो सीखना चाहे तुम्ही से <br>
पूछते हैं , धर्म सारे , धर्म का   आधार तुमसे <br>
पथ सही कर्तव्य का वे  , देखना चाहें तुम्ही से ।।</p>
<p dir="ltr">आस्था के फूल से , विश्वाश की थाली सजाकर <br>
देव दें आशीष तुमको इस धरा पर , उस गगन से ।।</p>
<p dir="ltr">आज से ग्यारह बरस पहले , हिमालय से उतर कर <br>
पालकी में, बन दुल्हन , कैलाश आया पास मेरा <br>
पाँव चौखट पर पड़े थे ,शुभ मेरे घर आँगने में <br>
और दे डाला मुझे , खोया हुआ विश्वाश मेरा ।।</p>
<p dir="ltr">आज दो युवराज , पाकर  कृष्ण उद्धव पास अपने <br>
पूर्णता भी ,पूर्ण हो कर ,पूर्ण है अब तृप्त मन से ।।</p>
<p dir="ltr">जन्मदिन पर चूँम लूँ आ  ,नर्म हाथों को तुम्हारे <br>
अर्थ मेरी कामनाओं को मिला जिनकी छुवन से ।।</p>
<p dir="ltr">💖💖💖💖💖💖मानोज💖💖💖💖💖💖💖💖</p>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08783625967051992297noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7657354860588893706.post-88811491435072541502019-03-09T19:10:00.001-08:002019-03-09T19:10:40.960-08:00जीवन की अंक गणित <p dir="ltr">इस जीवन की अंकगणित में जोड़ घटाने की चाहत में <br>
छोटे छोटे गुणा भाग की समीकरण हल कैसे होगी ?</p>
<p dir="ltr">अपने और पराये पन की रोज परीक्षाएं होती हैं <br>
कितना प्यार करें दूजे को रोज समीक्षाएं होती हैं<br>
एक नयाँ बंधन जब बंधन बन कर पीड़ाएँ देता है <br>
मन में एक नएँ गठबंधन की नव इच्छाएं होती हैं ।।</p>
<p dir="ltr">कुछ खोने के डर से चुप हर रिश्ते सिसकारी लेते हैं<br>
मरे हुए सम्बन्धों के, इस जग में हलचल कैसे होगी ?</p>
<p dir="ltr"> शातिर आंखें लगी हुई हैं, सपनों की सौदेबाजी में <br>
अपने ही अपने बैठे हैं ,अपनों की धोखेबाजी में <br>
चतुराई से पास बिठाया , बाजीगर को बाजीगर ने <br>
दोनों ठगे हुए व्यापारी , खुश हैं अपनी बर्बादी में ।।</p>
<p dir="ltr">जल जाने के डर से सबने , सीलन में रहना सीखा है <br>
डरे हुए लोगों के जग में , मीरा पागल कैसे होगी?</p>
<p dir="ltr">मुर्दा एहसासों को तुमको , इक दिन जिंदा करना होगा <br>
आज नहीं तो कल खुद तुमको खुद शर्मिंदा करना होगा <br>
आखिर कब तक ढो पाओगे , ऐसे सम्बन्धों की लाशें <br>
आखिर मन आजाद परिंदा , रिहा परिंदा करना होगा ।।</p>
<p dir="ltr">जग की परम्पराओं में जो , दरिया बन कर मौन हो गया <br>
उसके जीवन की गंगा में , पावन कल-कल कैसे होगी ?<br>
🌹🌹🌹🌹🌹मानोज नौटियाल🌹🌹🌹🌹🌹<br>
10-03-19</p>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08783625967051992297noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7657354860588893706.post-74438181948222554082018-03-16T20:08:00.001-07:002018-03-16T20:08:53.833-07:00पहला प्यार<p dir="ltr"><span style="background-color:#D8DFEA;">#school_time_first_love_story</span></p>
<p dir="ltr">वर्षों पहले रफ कॉपी में तीर उकेरा था जो दिल पर <br>
बचपन की मासूम मुहोब्बत का वो पहला ताजमहल था ।।</p>
<p dir="ltr">विद्यालय से लेकर घर तक ,और घर से विद्यालय आना <br>
तुम्हे देखने की चाहत का , वही ठौर था वही ठिकाना<br>
मेरे बाल सखाओं की तुम, सबसे पहली भाभी जी थी <br>
सुलझ नहीं पाया है अब तक , रिश्तों का वो ताना बाना ।।</p>
<p dir="ltr">जहां एक तरफा चाहत का ,पहला खत लिक्खा था मैंने<br>
योवन के पावन खुजराहो मंदिर का वो शीश महल था ।।</p>
<p dir="ltr">छुट्टी के दिन घर पर रहना , मुझको लाचारी लगता था <br>
एक झलक देखे बिन तुमको पूरा दिन भारी लगता था <br>
तुम कक्षा की पहली लाइन की पहली कुर्सी की मलिका<br>
टीचर का पीछे बैठाना मुझको मक्कारी लगता था ।।</p>
<p dir="ltr">सिवा तुम्हारे और हमारे , कक्षा में कोई भी ना था <br>
सच पूछो तो वो बचपन का सबसे पहला इंटरवल था ।।</p>
<p dir="ltr">रफ कॉपी से शुरू हुई जो बचपन की वो ठेठ शायरी<br>
धीरे धीरे बड़ी हुई तो गीत गजल की बनी डायरी ।।<br>
चली गई तुम और मुहोब्बत इकतरफा इकरार बचा था <br>
कृष्णा की चाहत में मेरे मन की मीरा सदा बावरी।। </p>
<p dir="ltr">वर्षों बीत गए हैं लेकिन दिल अब भी कहता है पगली<br>
मन के सावन की बारिश का एक तू ही पहला बादल था <br>
वर्षों पहले रफ कॉपी में तीर उकेरा था जो दिल पर <br>
बचपन की मासूम मुहोब्बत का वो पहला ताजमहल था ।।<br>
मनोज नौटियाल<br>
17-03-2018 .... 8:35am <br><br><br><br><br><br><br><br><br></p>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08783625967051992297noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7657354860588893706.post-70550784271296657902017-09-09T18:16:00.001-07:002017-09-09T18:16:54.366-07:00सागर के रेतीले तट पर ,लहरों की आवाजाही से <p dir="ltr">सागर के रेतीले तट पर ,लहरों की आवाजाही से <br>
जाने कितने मोती बिखरे, सागर की लापरवाही से।।<br>
कैसे बिन सीपी के अब हम, तन्हाई में जी पाएंगे ? <br>
डर से सहमे  बिखरे मोती,  पूछ रहे हैं हरजाई से ।।</p>
<p dir="ltr">पूरनमासी के चंदा का पल दो पल का आकर्षण था <br>
तेरी गहराई में हम सब,  की पावनता  का दर्पण था।।<br>
आसमान छूने की जिद पर,  लांघ गया तू मर्यादाएं<br>
भूल गया कैसे हम सबका ये जीवन तुझ पर अर्पण था ।।</p>
<p dir="ltr">जिस चंदा की खातिर तूने हमको छोड़ दिया था पगले <br>
देख अमावस के अंधियारों में व्याकुल है तन्हाई से ।।</p>
<p dir="ltr">याद आते हैं दिन जब तेरी,  गहराई थी नाज हमारा <br>
हम सब थे सुंदरता तेरी , और तू था सरताज हमारा ।।<br>
हम सबके गम के आंसू पी ,कर तुम खारे बन बैठे थे <br>
तू ही था हमदर्द हमारा , और तू ही हमराज हमारा ।।</p>
<p dir="ltr">आ ले चल फिर साथ हमे तू , बाट जोह कर बैठे हैं <br>
ज्वार उठा जो थम जाएगा , उस चंदा की रुसवाई से ।।<br>
डर से सहमे  बिखरे मोती,  पूछ रहे हैं हरजाई से ।।<br>
सागर के रेतीले तट पर ,लहरों की आवाजाही से ।।<br>
**************** मनोज नौटियाल **************<br>
दिनांक-  09-09-2017</p>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08783625967051992297noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7657354860588893706.post-74478708563639250332017-03-30T18:14:00.001-07:002017-03-30T18:14:16.556-07:00सरल साधना रहस्य -2 <p dir="ltr">भौतिकवादी युग में आज तांत्रिक साधनाओं की भरमार हर कहीं देखने को मिल रही है ।<br>
बाजार में तंत्र संबंधी हजारों पुस्तकें मिल जायेगी , सोशल नेटवर्क के जरिये भी आज विभिन्न प्रकार की साधना एवं मन्त्र , यंत्र , तंत्र प्रेषित किये जा रहे हैं  ।<br>
लेकिन साधक और साधना के विषयक अधिकतर ज्ञान किसी ना किसी प्रकार से पूर्वाग्रह से पीड़ित मिलता है ।<br>
अधिकतर लोगों ने आज बहुत सी साधनाएं अपने मन मुताबिक़ बना ली हैं , और स्वयं का सिक्का चलवाने के लिए ऐसे तथाकथित संत आज नये नये साधकों को प्रलोभन देकर , गुरुत्व का तमगा अपने माथे पर सजाने को व्याकुल रहते हैं । <br>
मित्रों , साधना का सरल अर्थ है जीवन को अथवा स्वयम को साध कर परमेश्वर को स्वयम में महसूस करना । <br>
नये साधकों के लिए कुछ अनुभव के आधार पर सरल सूत्र बता रहा हूँ । मुझे यकीन है कि ये सूत्र एवं विधियां आपको साधना की जमीन पर शशक्त योद्धा की तरह स्थापित करने में मदद करेगी । <br>
* साधना का सबसे प्रारम्भिक चरण है अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित एवं नियमबद्ध बनाइये ।  जो भी आप कार्य करते हैं वह रोज एक निश्चित टाइम टेबल पर करने की आदत डालिये । 24 घंटों के एक दिन को इस तरह बाँटिये कि जब भी जो कार्य आपने पहके दिन निर्धारित किया है वह कार्य रोज उसी समय पर करने की आदत डालिये । <br>
* सजग रहिये । अपने क्रियाकलापों एवं अपनी बुद्धि एवं मन की विचारधारा को सजगता से देखिये और देखिये कि कब आपको क्रोध आया , कब काम जागा , कब आपको अहंकार हुआ । याद रखिए कि हम जीव हैं और ये जो भी दुर्गुण हैं यह हमारी स्वाभाविक नियति है , इनसे बिचलित मत होइए बल्कि , धीरे धीरे सजगता से इनको पहचानिए , याद रखिए कि सजगता में वह शक्ति है जो आपके और हमारे इन दुर्गुणों को धीरे धीरे समाप्त कर देगी । </p>
<p dir="ltr">* प्राणायाम करें । <br>
साधक को यदि साधना में सफलता और अध्यात्मिक मार्ग में लंबी रेस का घोड़ा बनना हो तो यह सबसे आवश्यक है कि आप प्राणायाम के द्वारा एकाग्रता का प्रयास निरंतर करते रहें । </p>
<p dir="ltr">* इंद्रियों का दमन नहीं करें बल्कि अपनी इंद्रियों को प्रत्येक क्षण धन्यवाद कहें । कल्पना करें कि जिनके पास आँख नहीं है वो कैसे जीते हैं  ? , जिनके पास हाथ , पैर , नहीं है , जो मानसिक संतुलन खो गया उसकी स्थिति क्या होती है । <br>
जितना आप अपने शरीर के अंगों का सम्मान करेंगे और उनको धन्यवाद देंगे आप पाएंगे कि आपका शरीर और इंद्रियां अपनी पूरी क्षमता से आपको सहयोग करेंगी । <br>
* प्रकृति के पास रहने का प्रयास करें । <br>
रोज 1 घंटे भौतिक सुविधाओं और कृत्रिम साधनों से दूर होकर बिलकुल प्राकृतिक माहौल में रहने का प्रयास करें । <br>
गर्मी में पंखा , ऐ 0सी0 ,कूलर आवश्यक हैं किंतु 1 घंटा शाम को सभी साधनों को बंद करके अपने शरीर को प्रकृति के हवाले करें , पहले पहले आपको विचलन होगा लेकिन 1 महीने रोज ऐसा करने पर एक अलग अनुभव होगा , और आप पाएंगे कि प्रकृति स्वयं आपको धैर्य नामक अद्भुत अश्त्र देगी , यही प्रयोग सर्दियों में भी करें । </p>
<p dir="ltr">* अध्यात्म को धर्म के तराजू पर कभी ना तोलें । <br>
जितनी निष्ठा से आप किसी मंदिर के सम्मुख सर झुकाते हैं , उतनी ही निष्ठा किसी मस्जिद , या फिर गुरूद्वारे या चर्च के सामने आने पर भी उस परमात्मा को प्रणाम करें । याद रखिए कि धर्म जब धारणा बन जाता है तो वह तुलना की छलनी में हमारे अहंकार को तोषित करता है , । सभी धर्मों का सम्मान और स्वयम के धर्म का अनुसरण करने से जीवन में सरलता एवं प्रेम का उद्भव होता है । </p>
<p dir="ltr">मित्रों , आगे भी मैं अपनी बौद्धिक क्षमता के आधार पर अपने विचार रखूंगा , तब तक मुझे आशा है आप अपनी प्रतिक्रियाओं और जानकारियों से मुझे भी सीखने को बहुत कुछ प्राप्त होगा । <br>
जय माता दी । <br>
Divine durga spiritual astrology <br>
9041032215</p>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"> <a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjfUsaUXLdLqgTutAR-K1x244Pr8yf2HuDICrXJx86SpNefTBQ6YgSO_bqDlCd1ixEfJKuIWJkNPgadleQbXsu0RYBIjydWSavqshcAFeY6CbsSMWdgnemKmMjlSJ773yLII6S-g6inzSg/s1600/IMG-20170325-WA0007.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"> <img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjfUsaUXLdLqgTutAR-K1x244Pr8yf2HuDICrXJx86SpNefTBQ6YgSO_bqDlCd1ixEfJKuIWJkNPgadleQbXsu0RYBIjydWSavqshcAFeY6CbsSMWdgnemKmMjlSJ773yLII6S-g6inzSg/s640/IMG-20170325-WA0007.jpg"> </a> </div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08783625967051992297noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7657354860588893706.post-74588282573240566242017-03-29T04:24:00.001-07:002017-03-29T04:30:06.618-07:00साधना शीघ्र सिद्धि रहस्य -1<p dir="ltr">साधना की पुस्तकों में अनेकों विधान पढ़ने को मिल जाते हैं , किन्तु अक्सर साधक को सफलता बहुत कम मिल पाती है । <br>
सभी साधक भाइयों के लिए साधना में शीघ्र सफलता के लिए एक स्वानुभूत विधि बता रहा हूँ । <br>
लगभग सभी साधना में दीपक जलाया ही जाता है । <br>
सिर्फ दीपक में तेल का प्रयोग अलग अलग साधना में अलग अलग किया जाता है । <br>
आप जो भी साधना करते हैं , दीपक के अग्र भाग में जहां पर ज्योति जलती है वहां बत्ती के नीचे दीपक जलाने से पहले एक इलायची रख दें । और फिर मन्त्र जाप करें । उसके बाद दुसरे दिन उस इलायची की राख को निकाल लें और उसको माथे पर लगाएं । <br>
यह प्रयोह करें एवं अपने अनुभव यहाँ कॉमेंट करें या फिर व्हाट्सप करें । जय महाकाल काली ।<br>
9041032215 <br>
दिव्य दुर्गा आध्यात्मिक ज्योतिष केंद्र </p>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08783625967051992297noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7657354860588893706.post-54519906377526312492017-02-21T01:01:00.001-08:002017-02-21T01:02:32.723-08:00तू ही एक ख़ाहिश जवां आखिरी है<p dir="ltr">तू ही एक ख़ाहिश जवां आखिरी है ।।<br>
मेरी मौत के दरमियाँ आखिरी हैं ।।</p>
<p dir="ltr">चराग-ए-मुहब्बत हुआ राख लेकिन <br>
एहसास का ये धुआँ आखिरी हैं ।। </p>
<p dir="ltr">लमहात इस रात के साथ गम के <br>
गुजरते हुए कारवां आखिरी हैं ।।</p>
<p dir="ltr">खयालात के इस चमन की हिफाजत <br>
करेगा जो ये बागवां आखिरी है ।।<br>
<br>
हकीकत के सारे परिंदों से कह दो <br>
ये ख़्वाबों भरा आसमाँ आखिरी है ।। </p>
<p dir="ltr">गले मिल के कह दो नहीं प्यार मुझसे <br>
यही एक अब इन्तेहाँ आखिरी है ।।</p>
<p dir="ltr"> खामोशियों की यही इल्तजा थी <br>
बिना कुछ कहे ये बयाँ आखिरी है।।</p>
<p dir="ltr">तू ही एक ख़ाहिश जवां आखिरी है ।।<br>
मेरी मौत के दरमियाँ आखिरी हैं ।।<br>
****** मनोज नौटियाल ******<br>
Date- 21-2-17<br><br><br></p>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08783625967051992297noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7657354860588893706.post-53841863706729892382017-02-13T22:50:00.001-08:002017-02-13T22:50:06.254-08:00प्रेम गीत वैलेंटाइन स्पेसल<p dir="ltr">A sweet song for true lover ......happy Valentine day to all my frnds ....</p>
<p dir="ltr">ख्वाहिशें हौसलों की मुकरती रही<br>
रात भर करवटें बात करती रही।<br>
कामना के हिमालय पिघलते रहे<br>
प्रीत भागीरथी बन उतरती रही ।।</p>
<p dir="ltr"> जागते ख्वाब देखे कई रात भर <br>
हाथ तुमने रखा है मेरे हाथ पर<br>
हुश्न के आसमाँ पर सितारों भरी <br>
रात में रूप के चंद्रमा का सफर।।<br>
<br>
एकतरफा मुहोब्बत मेरी रात भर <br>
कल्पना लोक में ही विचरती रही ।।<br>
ख्वाहिशें हौसलों की मुकरती रही......</p>
<p dir="ltr"> लेखनी की तुम्ही नायिका हो मेरी <br>
प्रीत के गीत की गायिका हो मेरी <br>
मन शिवालय मेरा प्रेम कैलाश है<br>
प्रेम के ग्रन्थ की दीपिका हो तुम्ही<br>
<br>
खोजता था कहीं जब सहारा कोई<br>
बस तुम्हारी कमी ही अखरती रही <br>
ख्वाहिशें हौसलों की मुकरती रही.....।।</p>
<p dir="ltr"> आज स्वीकार लो ये निवेदन प्रिये <br>
पूर्ण कर दो निराकार पूजन प्रिये <br>
एक चुटकी तेरी माँग में गेर दूँ <br>
गेरुए रंग का आज चन्दन प्रिये ।।<br>
<br>
आईने में कभी भी नजर जब पड़ी <br>
सामने तुम दुल्हन बन सँवरती रही <br>
ख्वाहिशें हौसलों की मुकरती रही....।।</p>
<p dir="ltr">********** मनोज नौटियाल ************<br>
14-2-2017</p>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08783625967051992297noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7657354860588893706.post-52327695378912399152017-01-08T01:06:00.001-08:002017-01-09T06:35:53.838-08:00बेटियां <p dir="ltr">नव वर्ष की नूतन रचना ।।</p>
<p dir="ltr">सृष्टि के चक्र की हैं धुरी बेटियां <br>
सुत जगरनाथ तो हैं पुरी बेटियां ।।</p>
<p dir="ltr">पौधशाला जगत के जनन की यही<br>
पाठशाला है चिंतन मनन की यही<br>
नाद ॐकार की ,वेद के गान की <br>
बाइबल की दुआ ,सीख कुरआन की ।।</p>
<p dir="ltr">स्वर्ग की अप्सरा सी परी बेटियां <br>
सृष्टि के चक्र की हैं धुरी बेटियां ।।</p>
<p dir="ltr">बेटियां साधना तो पिता संत है <br>
ये पुरुष के अहंकार का अंत है <br>
हर पुरुष वृक्ष तो बेटियां छाँव हैं <br>
है पुरुष शीश तो बेटियां पाँव हैं </p>
<p dir="ltr">लोक संस्कार की अंजुरी बेटियां <br>
सृष्टि के चक्र की हैं धुरी बेटियां ।।</p>
<p dir="ltr">राम है कर्म तो , है वचन जानकी <br>
राधिका शक्ति है कृष्ण के नाम की <br>
शिव शिवा के बिना मृत कैलाश है <br>
बेटियों के बिना सृष्टि बनवास है ।।</p>
<p dir="ltr">हर पुरुष चाह की पाँखुरी बेटियां <br>
सृष्टि के चक्र की हैं धुरी बेटियां ।।</p>
<p dir="ltr">बेटियाँ गीत हैं , रीत हैं , प्रीत हैं <br>
बेटियां माँ बहन और मनमीत है <br>
प्रेम की पूर्णता का हवन बेटियां <br>
धर्म के दान की आचमन बेटियां </p>
<p dir="ltr">बार त्यौहार की शुभ घड़ी बेटियां <br>
सृष्टि के चक्र की हैं धुरी बेटियां ।।</p>
<p dir="ltr">पाणिग्रह दो घरों का मिलन बेटियां <br>
सात फेरों के सातों वचन बेटियां <br>
बेटियां लाडली मायके की दुल्हन<br>
और ससुराल की बेटियाँ है शगुन ।।</p>
<p dir="ltr"> सात स्वर से सजी बांसुरी बेटियाँ<br>
सृष्टि के चक्र की हैं धुरी बेटियां ।।</p>
<p dir="ltr">मनोज नौटियाल <br>
Date - 06-01- 2017</p>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08783625967051992297noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7657354860588893706.post-51280776747860459482016-12-31T03:01:00.001-08:002016-12-31T03:01:10.584-08:00रौंतल गाँव <p dir="ltr">अपने गाँव रौंतल पर कुछ पंक्तियां </p>
<p dir="ltr">उत्तरकाशी गमरी पट्टी धार ऐंच रौत्यालू गौं छ<br>
रीज जिकुड़ी मा लगदी गौं मा यांकि प्यारु रौंतल नौं छ।।<br>
ज्वान बुड्या नेतो की कोशिश आज सुपिनु सच हवै ग्याई जी <br>
मोटर गाडी गौं पौंछीगी , धार बज्यार हवै ग्याई जी ।।</p>
<p dir="ltr">ख़ुशी मनौणी स्वाभाविक छ , दगड़यों लेकिन भूलि नि जाया <br>
रीत रिवाज मुलक की अपड़ी , शहरी हवा मा कबि न उड़ाया <br>
सुविधा भी दुविधा बणी सकदी , मगतु हौंस्यार हवै ग्याई जी <br>
मोटर गाडी गौं पौंछीगी , धार बज्यार हवै ग्याई जी ।।</p>
<p dir="ltr">मेलजोल मिश्रा जी बिसरी , नौटियाल जी नौट बगाणा<br>
बिजल्वाणों की रामा रामी , परदेसी का गीत लगाणा <br>
शर्मा बणिगी , बर्मा बणिगी , नेपाली यार ह्वे ग्याई जी <br>
मोटर गाडी गौं पौंछीगी , धार बज्यार हवै ग्याई जी ।।</p>
<p dir="ltr">बेटी ब्वारी व्हट्सप वाली , छोरा फेसबुकौन्दा कोच्यां<br>
तांदी रासू छोड़ी बोडा, डी जे वाला चौक म पौंछयां<br>
नगटा रांक्या नबति छोड़ी , अब बेकार ह्वे ग्याई जी<br>
मोटर गाडी गौं पौंछीगी , धार बज्यार हवै ग्याई जी ।।</p>
<p dir="ltr">धवडि लगांदु धार ऐंच बटि केदारी नरसिंग बाबा जी <br>
नागराज जी कुछ त बोला , हालत गौं की हवै या क्या जी <br>
ज्वाला देवी , खणद्वारी माँ देवी लाचार हवै ग्याई जी <br>
मोटर गाडी गौं पौंछीगी , धार बज्यार हवै ग्याई जी ।।</p>
<p dir="ltr">हे भै बंधों देश जाण की रीत पुराणी छा या अपड़ी <br>
दादा परदादा सब गै थै , आग पेट की होंदी नखरी <br>
लेकिन हम अपड़ी माँ छोड़ी , मौस्या प्यार हवै ग्याई जी <br>
मोटर गाडी गौं पौंछीगी , धार बज्यार हवै ग्याई जी ।।</p>
<p dir="ltr"> मनोज नौटियाल।।<br>
15-12-2016</p>
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