प्यास बुझाने को मत कहना, खारे जल की धारा हूँ मै
दुआ मांग लो जो मन में हो , एक टूटता तारा हूँ मै ||
तेरी चाहत के सागर की गहराई क्या नाप सकूँगा
सावन में निकले दरिया का सूखा हुआ किनारा हूँ मै ||
मेरी दुनिया में चाहत की छाँव खोजने मत आ जाना
जल जाओगी तुम भी ऐसा नफरत का अंगारा हूँ मै ||
मेरी ये मुस्कान देख कर तुमने क्या समझा तुम जानो
सच ये है वर्षों से दुःख का , प्यारा राज दुलारा हूँ मै ||
मेरा प्यार अकेलापन है ,और प्रेमिका मेरा मन है
तन्हाई जोगन है मेरी , और उसका इकतारा हूँ मै ||
मेरी ये परिभाषा तुमको ,शायद भाये या ना भाये
लेकिन तुम शर्तों को त्यागो , देखो सिर्फ तुम्हारा हूँ मै ||
प्यास बुझाने को मत कहना, खारे जल की धारा हूँ मै
दुआ मांग लो जो मन में हो , एक टूटता तारा हूँ मै ||
मनोज
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंमेरी ये परिभाषा तुमको ,शायद भाये या ना भाये
जवाब देंहटाएंलेकिन तुम शर्तों को त्यागो , देखो सिर्फ तुम्हारा हूँ मै ||
प्यास बुझाने को मत कहना, खारे जल की धारा हूँ मै
दुआ मांग लो जो मन में हो , एक टूटता तारा हूँ मै ||,,,,,निर्भीक और ईमानदार रचना साहब....शुभकामनाएं
bahut sundar gazal hai..
जवाब देंहटाएंyahan bhi padharen..
http://iwillrocknow.blogspot.in/
मेरा प्यार अकेलापन है ,और प्रेमिका मेरा मन है
जवाब देंहटाएंतन्हाई जोगन है मेरी , और उसका इकतारा हूँ मै ||
मेरी ये परिभाषा तुमको ,शायद भाये या ना भाये
लेकिन तुम शर्तों को त्यागो , देखो सिर्फ तुम्हारा हूँ मै ||
प्यास बुझाने को मत कहना, खारे जल की धारा हूँ मै
दुआ मांग लो जो मन में हो , एक टूटता तारा हूँ मै ||
बहुत सुन्दर रचना है मनोज भाई। जहां जहां मै चला आया है वहाँ वहाँ मैं (main )kar len कर लें। शुक्रिया इस शानदार अर्थ और भाव सौंदर्य लिए इस प्रस्तुति का।
बहुत ही उत्कृष्ठ रचना..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन..
:-)