बुधवार, 30 अक्तूबर 2013

कभी खुद को मनाने में कभी तुमको मनाने में





कभी खुद को मनाने में कभी तुमको मनाने में 
खुदा भी रात दिन हमको लगा है आजमाने में ||

हमारे प्यार की मंजिल जुदाई ही मुनासिब है 
मिलन के रास्ते सब बंद हैं अपने जमाने में ||

घडी भर को गिरा दो आज ये चकबंदिया दिल की 
सुहागन रात सजने दो ख़यालों के खजाने में ||

तजुर्बेकार लोगों ने बहुत रोका बहकने से 
कदम फिर भी नहीं सम्हले तुम्हारे पास आने में ||

नए घर की तमन्ना में , कहीं सब छूट ना जाए 
अभी भी लौट आ जाओ पुराने आशियाने में ||

भरोसा है मुझे अब भी खुलेगी रात मावस की 
उगेगा आस का सूरज अँधेरे कैदखाने में ||

अभी तुम भी अकेली हो अभी मै भी अकेला हूँ 
बुरा क्या है मिलन के गीत फिर से गुनगुनाने में ||

अभी दो दिन बचे हैं चार दिन की जिंदगानी के 
कहीं ये बीत ना जाएँ फकत सुनने सुनाने में ||

कभी खुद को मनाने में कभी तुमको मनाने में 
खुदा भी रात दिन हमको लगा है आजमाने में ||

.........manoj .............

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