तू ही एक ख़ाहिश जवां आखिरी है ।।
मेरी मौत के दरमियाँ आखिरी हैं ।।
चराग-ए-मुहब्बत हुआ राख लेकिन
एहसास का ये धुआँ आखिरी हैं ।।
लमहात इस रात के साथ गम के
गुजरते हुए कारवां आखिरी हैं ।।
खयालात के इस चमन की हिफाजत
करेगा जो ये बागवां आखिरी है ।।
हकीकत के सारे परिंदों से कह दो
ये ख़्वाबों भरा आसमाँ आखिरी है ।।
गले मिल के कह दो नहीं प्यार मुझसे
यही एक अब इन्तेहाँ आखिरी है ।।
खामोशियों की यही इल्तजा थी
बिना कुछ कहे ये बयाँ आखिरी है।।
तू ही एक ख़ाहिश जवां आखिरी है ।।
मेरी मौत के दरमियाँ आखिरी हैं ।।
****** मनोज नौटियाल ******
Date- 21-2-17
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