मेरा होना और तुम्हारा होना भी संयोग हुआ है
इस धरती पर अपना मिलना जीवन का दुर्योग हुआ है ।।
तुम चाहत हो अंतर्मन की , एक मेरा चाहत का गढ़ है
ये कैसा है , आखिर क्यों है , ऐसा ये प्रयोग हुआ है ।।
मैं सबका हूँ , या बैरागी , मेरी ये पहचान नयी है
लेकिन तुमको ना छोडूंगा , किस्मत का सहयोग हुआ हैं।।
आ जाऊंगा ,ले जाऊंगा ,इतनी तो औकात बनी है
तेरे घर मे थोड़ा ही क्यों मेरा तो उपयोग हुआ है।।
कैलाशी को बस समझा है मुझको इतना सा अफसाना
तू है तो जन्नत में हूँ, मैं अगर नही तो योग हुआ है।।
गलती क्या है ये बतला दे , मेरे प्यारे अहसासों को
तुमने बिन सोचे ही समझे बोला की संभोग हुआ है ।।
मैं रहता हूँ सबके दिल मे , दिल मेरा भी बड़ा घरौंदा
मेरे अंतर्मन से मुझको , रोज हुआ सहयोग हुआ है ।।
तुम कहती हो भूलो उसको , क्यों भूलूँ ये तो बतला दो
मेरे जीवन की बस्ती में , पूजा का विनियोग हुआ है ।।
अब ये यार भी जान गए हो , मैं पूरा बैरागी ही हूं
मेरे सपनों की धरती का , तुमसे ही हरि ॐ हुआ है ।।
@ मनोज नौटियाल
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