इससे पहले कोई आकर , चुरा न ले मेरी रचनाएं
तुम्ही सुरक्षित रखना अब ये मेरी लिखी हुई कविताएं ।।
लिखती रही युगों से तुम पर ,मेरी ये गुमनाम लेखनी
तुम्हे नायिका बना बनाई , अलंकार की अद्भुत वेणी
रस के सागर में , ना जाने , कितने रास रचाये मैने
और छंद के बन्ध बनाकर , कितने मंगल गाये मैंने।।
कहीं और कोई मेरे इन , गीतों पर मोहित हो जाएँ
तुम्ही सुरक्षित रखना अब ये मेरी लिखी हुई कविताएं ।।
अपनी रचनाओं की खातिर , सागर से गहराई मांगी
कुम्हलाऐं ना गीत कभी भी , बादल से परछाई मांगी
पूरनमासी की किरणों से अद्भुत रूप तुम्हारा मांगा
कामदेव की सभी कामनाओं का मौन सहारा मांगा।।
तुम से शुरू, तुम्ही पर, पूरी होती हैं सारी उपमाएं
तुम्ही सुरक्षित रखना अब ये मेरी लिखी हुई कविताएं ।।
मेरी कुछ रातों की नींदें , इन गीतों के संग जागी हैं
कुछ मासूम ख्वाहिशें मेरी , तन्हाई से डर भागी हैं
आंखों से आँसू बन सावन , बरसा है मेरे आंगन में
कई ख्वाब टूटे बिखरे हैं , सूनी आंखों के दर्पण में ।।
इस खालीपन की सीलन से कहीं गीत मुरझा ना जाएँ
तुम्ही सुरक्षित रखना अब ये मेरी लिखी हुई कविताएं।
फुरसत हो तो कभी बैठ कर ,पढ़ लेना मेरी कविताएं
मेरी निश्छल मन की पीड़ा , की साथी हैं ये रचनाएं
मेरी व्याकुलता की गिजबिज आवाजें हैं सिसकारी है
मैं माली उस बगिया का जो किसी और की फुलवारी है
अब तुम ही रखवाली करना, और तुम्हे ही ये महकाएं
तुम्ही सुरक्षित रखना अब ये मेरी लिखी हुई कविताएं ।।
🌺🌺🌺🌺 @सर्वधिकार सुरक्षित🌺🌺🌺🌺
🍁🍁🍁🍁मनोज नौटियाल🍁🍁🍁🍁
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