ये लीजिये दोस्तों ...कलम के कुछ और एहसास ख़ास आपके लिए |
मुहोब्बत की भला इससे बड़ी सौगात क्या होगी
जला कर घर खड़ा हूँ मै यहाँ अब रात क्या होगी ||
गुनाहों में गिना जाने लगा दीदार करना अब
हसीनो के लिए इससे बड़ी खैरात क्या होगी ||
सुबह से शाम तक देखे कई पतझड़ दरीचे में
गरजते बादलों की रात है बरसात क्या होगी ||
जरा नजरें मिलाकर बोल दे तू दोस्त है मेरा
बिना जाने तुझे ऐ दोस्त दिल की बात क्या होगी ||
मुझे दुःख है तुम्हारे घर बड़े हैं दिल बिकाऊ हैं
मुझे दिल से समझने की तेरी औकात क्या होगी ||
जलाते हैं बिना कारण किसी का घर किसी का दर
सियासत दार चिलायें धरम क्या जात क्या होगी||
पसीना खून का करके पिता ने बेटियां ब्याही
जहाँ दूल्हे बिकाऊ हों वहां बारात क्या होगी ||
अकेला खेलता शतरंज है जो बंद कमरे में
उसे शै क्या हराएगी , बिशात-ए-मात क्या होगी ||
मनोज नौटियाल
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (17-03-2013) के चर्चा मंच 1186 पर भी होगी. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद मित्र
जवाब देंहटाएंगजब है आदरणीय-
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें-
धन्यवाद आपका सम्मानित रविकर जी |
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसुरत गजल
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग का अनुशरण करें ख़ुशी होगी
latest postऋण उतार!
dhanywaad sir ...bilkul
हटाएंkya baat hai :) koi Book publish karwate kyu nhi
जवाब देंहटाएंabhi socha nahi Surabhi Ji is sandarbh me ..... dekhte hain .....
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