रविवार, 13 जनवरी 2013

सत्य लिखूं तो


सत्य लिखूं तो संविधान की लोग दुहाई देते मुझको
आम आदमी हूँ चुप हो जा शब्द सुनाई देते मुझको
ऐसे जीने से बेहतर है कलम छोड़ हतियार उठायें
संविधान की पैदाइश इन नेताओं को मार भगाएं ।।

अपने भाषण में शोषण का सतरंगी श्रृंगार सजाकर
वोट बनाये हैं दुष्टों ने आरक्षण के उदगार सुनाकर
मजहब का सरहद पर देखो कैसा नंगा नाच नचायें
संविधान की पैदाइश इन नेताओं को मार भगाएं ।।

दिल्ली में बिल्ली पिंजरे में यो यो हन्नी सिंह अलापे
बस के अन्दर दुष्ट दुशाशन निर्भय अपनीहवश बुझाये
न्याय मांगती जनता पर ये महगाई का लेप लगाएं
संविधान की पैदाइश इन नेताओं को मार भगाएं ।।,,,,,,,,,,मनोज
 

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