शुक्रवार, 16 मार्च 2018

पहला प्यार

#school_time_first_love_story

वर्षों पहले रफ कॉपी में तीर उकेरा था जो दिल पर
बचपन की मासूम मुहोब्बत का वो पहला ताजमहल था ।।

विद्यालय से लेकर घर तक ,और घर से विद्यालय आना
तुम्हे देखने की चाहत का , वही ठौर था वही ठिकाना
मेरे बाल सखाओं की तुम, सबसे पहली भाभी जी थी
सुलझ नहीं पाया है अब तक , रिश्तों का वो ताना बाना ।।

जहां एक तरफा चाहत का ,पहला खत लिक्खा था मैंने
योवन के पावन खुजराहो मंदिर का वो शीश महल था ।।

छुट्टी के दिन घर पर रहना , मुझको लाचारी  लगता था
एक झलक देखे बिन तुमको पूरा दिन भारी लगता था
तुम कक्षा की पहली लाइन की पहली कुर्सी की मलिका
टीचर का पीछे बैठाना मुझको   मक्कारी लगता था ।।

सिवा तुम्हारे और हमारे , कक्षा में कोई भी ना था
सच पूछो तो वो बचपन का सबसे पहला इंटरवल था ।।

रफ कॉपी से शुरू हुई  जो बचपन की वो ठेठ शायरी
धीरे धीरे बड़ी हुई तो गीत गजल की बनी डायरी ।।
चली गई तुम और मुहोब्बत इकतरफा इकरार बचा था
कृष्णा की चाहत में मेरे मन की  मीरा  सदा बावरी।।

वर्षों बीत गए हैं लेकिन दिल अब भी कहता है पगली
मन के सावन की बारिश का एक तू ही पहला बादल था
वर्षों पहले रफ कॉपी में तीर उकेरा था जो दिल पर
बचपन की मासूम मुहोब्बत का वो पहला ताजमहल था ।।
मनोज नौटियाल
17-03-2018 .... 8:35am








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