गुरुवार, 10 जुलाई 2025

कामाख्या योनि स्तुतिगान

प्रिय साधक~साधिकाओं माँ कामाख्या जी का योनि रूप में पूजा की जाती हैं और योनि स्तुति सब पापों को मुक्त करती हैं जो इसका नित्य पाठ करता हैं नियमित इसको अधिकतर विद्धान लोग गुप्त रखे हैं पर हम तो ठहरे अघोरी साधको के ज्ञान के लिए सब रहस्य खोल दूँ कई विद्धान बोले की यह गुप्त हैं मत करो सार्वजनिक पर हम कहते हैं की हर गृहस्थ अघोरी नही बन सकता केवल साधरण पूजा पाठ कर सकता हैं।
ऐसे अपने साधक-साधिका के सुविधा के लिए हम दुर्लभ योनि तन्त्र को सबके लिए सुलभ कर रहे हैं हर कोई इसका पाठ करके लाभ उठाये !!!
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नियन~ योनि स्तुति पाठ के नियम कोई कठिन नही हैं रोज सुबह अपने नित्य कर्मो से निवृत होकर स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनकर धूप-दीप जलाकर पाठ करे !!!
: योनिस्तोत्रम्
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ॐभग-रूपा जगन्माता सृष्टि-स्थिति-लयान्विता ।
दशविद्या - स्वरूपात्मा योनिर्मां पातु सर्वदा ।।१।।
कोण-त्रय-युता देवि स्तुति-निन्दा-विवर्जिता ।
जगदानन्द-सम्भूता योनिर्मां पातु सर्वदा ।।२।।
कात्र्रिकी - कुन्तलं रूपं योन्युपरि सुशोभितम् ।
भुक्ति-मुक्ति-प्रदा योनि: योनिर्मां पातु सर्वदा ।।३।।
वीर्यरूपा शैलपुत्री मध्यस्थाने विराजिता ।
ब्रह्म-विष्णु-शिव श्रेष्ठा योनिर्मां पातु सर्वदा ।।४।।
योनिमध्ये महाकाली छिद्ररूपा सुशोभना ।
सुखदा मदनागारा योनिर्मां पातु सर्वदा ।।५।।
काल्यादि-योगिनी-देवी योनिकोणेषु संस्थिता ।
मनोहरा दुःख लभ्या योनिर्मां पातु सर्वदा ।।६।।
सदा शिवो मेरु-रूपो योनिमध्ये वसेत् सदा ।
वैâवल्यदा काममुक्ता योनिर्मां पातु सर्वदा ।।७।।
सर्व-देव स्तुता योनि सर्व-देव-प्रपूजिता ।
सर्व-प्रसवकत्र्री त्वं योनिर्मां पातु सर्वदा ।।८।।
सर्व-तीर्थ-मयी योनि: सर्व-पाप प्रणाशिनी ।
सर्वगेहे स्थिता योनि: योनिर्मां पातु सर्वदा ।।९।।
मुक्तिदा धनदा देवी सुखदा कीर्तिदा तथा ।
आरोग्यदा वीर-रता पञ्च-तत्व-युता सदा ।।१०।।
योनिस्तोत्रमिदं प्रोत्तंâ य: पठेत् योनि-सन्निधौ ।
शक्तिरूपा महादेवी तस्य गेहे सदा स्थिता ।।११।।
।। इति योनि स्तोत्रं सम्पूर्ण।।

अंबुवाची पर्व में माता कामाख्‍यादेवी रजस्‍वला हो जाती है । इस के पूर्व इस स्‍तोत्र से उस की सेवा किजीये और देखीये कितने अदभूत चमत्‍कार अपने आप को देखने केा मिलते है ।

नव ग्रह पीड़ा हरण मंत्र

ग्रहों से होने वाली पीड़ा का निवारण करने
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के लिए इस स्तोत्र का पाठ अत्यंत लाभदायक है। इसमें सूर्य से लेकर हर ग्रहों से क्रमश: एक-एक श्लोक के द्वारा पीड़ा दूर करने की प्रार्थना की
गई है-

ग्रहाणामादिरात्यो लोकरक्षणकारक:। विषमस्थानसम्भूतां
पीड़ां हरतु मे रवि: ।।1।।
रोहिणीश: सुधामूर्ति: सुधागात्र: सुधाशन:।
विषमस्थानसम्भूतां पीड़ां हरतु मे विधु: ।।2।।
भूमिपुत्रो महातेजा जगतां भयकृत् सदा। वृष्टिकृद् वृष्टिहर्ता च
पीड़ां हरतु में कुज: ।।3।।
उत्पातरूपो जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युति:। सूर्यप्रियकरो विद्वान्
पीड़ां हरतु मे बुध: ।।4।।
देवमन्त्री विशालाक्ष: सदा लोकहिते रत:।
अनेकशिष्यसम्पूर्ण:पीड़ां हरतु मे गुरु: ।।5।।
दैत्यमन्त्री गुरुस्तेषां प्राणदश्च महामति:। प्रभु:
ताराग्रहाणां च पीड़ां हरतु मे भृगु: ।।6।।
सूर्यपुत्रो दीर्घदेहा विशालाक्ष: शिवप्रिय:। मन्दचार:
प्रसन्नात्मा पीड़ां हरतु मे शनि: ।।7।।
अनेकरूपवर्णेश्च शतशोऽथ सहस्त्रदृक्। उत्पातरूपो जगतां
पीडां पीड़ां मे तम: ।।8।।
महाशिरा महावक्त्रो दीर्घदंष्ट्रो महाबल:।
अतनुश्चोर्ध्वकेशश्च पीड़ां हरतु मे
शिखी: ।।9।।
भावार्थ -
ग्रहों में प्रथम परिगणित, अदिति के पुत्र तथा विश्व
की रक्षा करने वाले भगवान सूर्य विषम स्थानजनित
मेरी पीड़ा का हरण करें ।।1।।
दक्षकन्या नक्षत्र रूपा देवी रोहिणी के
स्वामी, अमृतमय स्वरूप वाले, अमतरूपी
शरीर वाले तथा अमृत का पान कराने वाले चंद्रदेव विषम
स्थानजनित मेरी पीड़ा को दूर करें ।।2।।
भूमि के पुत्र, महान् तेजस्वी, जगत् को भय प्रदान
करने वाले, वृष्टि करने वाले तथा वृष्टि का हरण करने वाले मंगल
(ग्रहजन्य) मेरी पीड़ा का हरण करें ।।
3।।
जगत् में उत्पात करने वाले, महान द्युति से संपन्न, सूर्य का प्रिय
करने वाले, विद्वान तथा चन्द्रमा के पुत्र बुध मेरी
पीड़ा का निवारण करें ।।4।।
सर्वदा लोक कल्याण में निरत रहने वाले, देवताओं के
मंत्री, विशाल नेत्रों वाले तथा अनेक शिष्यों से युक्त
बृहस्पति मेरी पीड़ा को दूर करें ।।5।।
दैत्यों के मंत्री और गुरु तथा उन्हें
जीवनदान देने वाले, तारा ग्रहों के स्वामी,
महान् बुद्धिसंपन्न शुक्र मेरी पीड़ा को दूर
करें ।।6।।
सूर्य के पुत्र, दीर्घ देह वाले, विशाल नेत्रों वाले, मंद
गति से चलने वाले, भगवान् शिव के प्रिय तथा प्रसन्नात्मा शनि
मेरी पीड़ा को दूर करें ।।7।।
विविध रूप तथा वर्ण वाले, सैकड़ों तथा हजारों आंखों वाले, जगत के
लिए उत्पातस्वरूप, तमोमय राहु मेरी पीड़ा
का हरण करें ।।8।।
महान शिरा (नाड़ी)- से संपन्न, विशाल मुख वाले, बड़े दांतों वाले, महान् बली, बिना शरीर वाले तथा
ऊपर की ओर केश वाले शिखास्वरूप केतु
मेरी पीड़ा का हरण करें।।9।।

शनिवार, 5 जुलाई 2025

भग मालिनी तंत्र .... 224 अक्षरों का दुर्लभ और अत्यंत तीव्र प्रभावी मंत्र रहस्य

भाग मालिनी तंत्र को हम कामाख्या तंत्र और ललिता तंत्र के नाम से भी जान सकते हैं और वहां यह देवी प्रतिष्ठित हैं। देवी कामाख्या के तंत्रों में अधिकतर हम योनि पूजन शक्तियों के रूप में देवी की आराधना करते हैं।  देवी की योनि का भाग यहां पर गिरा था। इसे योनि शिलाखंड भी कहते हैं जो शक्ति के रूप में पूजित है। यहां एक छोटा सा जल स्त्रोत है। इसकी वजह से यह स्थान सदैव नम बना रहता है। इसमें विशेष गुण भी हैं। इसके सेवन से कई रोग भी दूर होते हैं और कामाख्या में अंबुबाची नाम का मेला लगता है। देवी कामाख्या के रजस्वला होने के कारण ब्रह्मपुत्र का जल लाल रंग का हो जाता है। इसी अवसर पर दुनिया के कोने कोने से तांत्रिक यहां पहुंचते हैं और तंत्र साधना करते हैं। तांत्रिकों का महाकुंभ भी इसे कहा जाता है? असम में कामाख्या देवी मां की साधना को योनि मार्ग से जोड़ा गया क्योंकि यहां पर देवी की योनि गिरी थी। इस रहस्य को अभी तक लोग समझ नहीं पाए हैं और साधनाओ के क्षेत्र में इसे गलत तरीके से देखा जाता है। वास्तव में यह माना जाता है कि जिस प्रकार योनि के माध्यम से ही कोई भी स्त्री नए जीवन को संसार में लेकर के आती है, इसलिए योनि पूजनीय है। इसी तरह ब्रह्मांड योनि ब्रह्मांड पिंड को संसार में और जगत में लेकर आती है। इसीलिए सारा संसार जन्म लेता है। यह देवी की योनी है। इस प्रकार इस चीज को ऐसे समझिये हर ग्रह नक्षत्र पिंड तारा गोल क्यों बनता है। आखिर वह पिंड के आकार में ही क्यों है क्योंकि यह सभी देवी की मानसिक योनि से उत्पन्न हुआ है। इसी को जब तंत्र में साधना के द्वारा सिद्ध करने का प्रयास किया जाता है तो ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियां प्राप्त होती है। रक्त वर्ण वाली वस्त्र धारण करने वाली देवी माता कामाख्या और उनके अलग अलग खंडित स्वरूप अलग अलग तरीके से पूजित होते हैं। उन्हीं में एक देवी है भग मालिनी देवी भग मालिनी अपनी शक्ति में अत्यंत ही उत्तम है औरभग यानि योनि ही जिसे कहा जाता है, उसकी नित्य शक्ति मानी जाती है। यह योनि में नित्या स्वरूप में स्थित है और प्राचीन भैरवी चक्र की योनि शक्ति के नाम से इन्हें जाना जाता है। श्रीविद्या मुख्य कामाख्या तंत्र हो। दोनों ने देवी भाग मालिनी की साधना का वर्णन हमें देखने को मिलता है। यह देवी अत्यंत गोपनीय रहस्य से युक्त हैं और इन्हें भी आदि शक्ति के रूप में ही पूजा जाता है और यह सारे के सारे स्वरूप माता कामाख्या से संबंधित माने जाते हैं क्योंकि देवी योनि से संबंधित इन रहस्यों को माना गया है। इन देवी का जो मंत्र है, वह काफी बड़ा है। 

ऐं भग भुगे ऐं भगिनि ऐं भगोदरी ऐं भग क्लिन्ने ऐं भगावहे ऐं भग गुह्ये ऐं भग योने ऐं भगनिपातिनि ऐं भग सवेवदि ऐं भग वशंकरी ऐं भगरूपे ऐं भग नित्ये ऐं भग क्लिन्ने ऐं भगस्वरूपे सवेभगानि. में ह्यानय ऐं भगक्लिन्ने द्रवे भगं क्लेदय भगं द्रावय भगामोघे भगविच्चे भगं च्छोभय सवेसत्वान भगेश्वरी ऐं भग ब्लूं ऐं भग जं ऐं भग मे ऐं भग व्लूं ऐं भग मो भग क्लिन्ने सवाेनि भगानि में ऐं भग व्लूं ऐं भग हें भग क्लिन्ने सवाेनि भगानि में वशमानये भग ऐं भग ब्लूं ऐं भग हें ऐं भग ब्लूं ऐं भग हें ऐं द्रां द्रीं क्लीं ब्लूं सः भग हर ब्लें भगमालिन्यै

 यह 224 अक्षर का मंत्र कहलाता है और इनकी साधना विशेष शक्ति प्रदान करती खासतौर से अगर किसी को वशीकरण की शक्ति प्राप्त करनी है। इसके लिए यह अद्भुत साधना मानी जाती है। इनकी साधना सिद्ध करने वाले व्यक्ति के पास वशीकरण की अद्भुत शक्ति होती है। यहां तक अगर यह मंत्र पूरी तरह सिद्ध हो जाता है तो संसार में ऐसी कोई स्त्री नहीं है जिसको कोई साधक अपने वश में ना कर सके। जो भी स्त्री इस मंत्र को सिद्ध कर लेती है, वह किसी भी पुरुष को आकर्षित कर सकती हैं। चाहे वह कितना भी सिद्धवान व्यक्ति क्यों ना हो, इसके सिद्ध हो जाने पर काम शक्ति, तेज शक्ति, दृष्टिपात शक्ति तेज शक्ति भी आप समझ गए होंगे। काम शक्ति भी आप समझते हैं लेकिन दृष्टिपात शक्ति का मतलब होता है जिस पर भी हम नजर डालते हैं। उसको अपने वश में करने की शक्ति दूसरी अनेक शक्तियों की प्राप्ति के अतिरिक्त इससे आयु की वृद्धि भी होती है। यह साधनाए रात्रि के समय में एकांत में योनि के सामने करनी चाहिए। योनि के बहुत सारे स्वरूप होते हैं एक। आप यह मान सकते हैं। जीवित योनि, दूसरी है। आपकी तंत्रात्मक योनि यानी आपने किसी यंत्र पर योनि का चिन्ह अंकित किया हो और तीसरी होती है। पृथ्वी पर बनाई गई विशालकाय योनि तो तीनों के सामने ही इस तरह की साधनाएं की जा सकती है। इनका जो स्वरूप है वह इस प्रकार है। खूनी खूनी लाल रंग की जगमगाती हुई सर्वांग सुंदरी देवी जो लाल रंग के वस्त्र सोने के राजसी वस्त्रों से सुसज्जित कमल के फूल पर बैठी हुई जिनके तीन नेत्र हैं, 6 भुजाएं हैं दाये नीचे ऊपर पुष्प वाण है। अंकुश कमल है बाये में कूलहर पाश और सोने का धनुष है। गुप्त गुरु निर्देश में यह योनि शक्ति हैं।

यंत्र भी योनि यंत्र हैं और इनकी साधना भी योनि साधना कहलाती है। इस साधना को करने वाला साधक सर्वोच्च वशीकरण की शक्ति प्राप्त करता है। संसार में हर स्त्री और पुरुष को वश में करने की सामर्थ है। उसके अंदर आ जाती है। यहां मैंने सिर्फ आपको मंत्र के विषय में जानकारी दी है और इसे कैसे करना है, उसकी जानकारी प्रदान की है, लेकिन इसकी पूर्ण सिद्धि के लिए गुरु से ही इस मंत्र की। मूल विधि और सामग्री इत्यादि प्राप्त करके ही इसकी साधना करनी चाहिए क्योंकि यह बहुत ही प्रचंड साधनाएं हैं और इन्हें आप मजाक में नहीं ले सकते हैं। इसमें जो शक्तियां उत्पन्न होती हैं, वह विशेष कृपा करने की क्षमता रखती हैं और असंभव कार्य को संभव बनाने की शक्ति इन साधना के माध्यम से प्रत्येक स्त्री और पुरुष को हो जाती है। स्त्री के लिए यह सौभाग्य और सुंदरता, काम शक्ति, तेज, दृष्टिपात, शक्ति इत्यादि के साथ आयु की वृद्धि देने वाली मानी जाती है और उसके लिए यह हर प्रकार से स्त्री को अपने वश में करने की शक्ति प्रदान करती है।

जय महाकालकाळी 
तंत्र अचार्य , महाकालकाळी उपासक् 
पंडित मनोज कुमार नोटियाल 
पिंजोर , पंचकुला हरियाणा 
मोबाइल-9041032215