“काम कला काली” (Kāma Kalā Kālī) के साधना अत्यंत गुप्त तांत्रिक परंपरा का हिस्सा है, जो काम शक्ति (यौन ऊर्जा) को काली उपासना में समर्पित करके साधक को सिद्धि, मोक्ष, रति-आनंद, आकर्षण और भोग-विलास दिलाती है।
🔱 काम कला काली का स्वरूप
यह काली का कामरूप है, जो रति और तांत्रिक मैथुन से जुड़ी है।
इन्हें कामकलामयी महाकाली, कामेश्वरी काली, या रतिरूपिणी काली भी कहा गया है।
इनकी पूजा मुख्यतः कामकला तंत्र, वाममार्ग साधना, और तांत्रिक मैथुन में की जाती है।
🕉️ साधना का समय और स्थान
समय: अर्धरात्रि (विशेषकर अमावस्या, गुप्त नवरात्रि, काली जयंती)
स्थान: श्मशान, एकांत मंदिर, या गुप्त कक्ष
दिशा: दक्षिण या पूर्व की ओर मुख
व्रत: मांस, मदिरा, मैथुन आदि पंचमकारक का उपयोग तांत्रिक परंपरा अनुसार
🔮 आवश्यक सामग्री
कामकला काली यंत्र (भोजपत्र/ताम्रपत्र पर सिद्ध)
काली का चित्र/मूर्ति (कामरूप स्वरूप)
लाल वस्त्र
रक्तवर्णी फूल (गुड़हल, कमल)
चंदन, सिंदूर, काजल
मदिरा, मांस, मछली, मुद्रा, मैथुन (पंचमकारक)
इत्र, धूप, घी का दीपक
1️⃣ संकल्प
ॐ महाकाल्यै कामकलामयी देवी नमः
अहं अमुक कार्य सिद्ध्यर्थे कामकला काली साधनां करिष्ये॥
2️⃣ आवाहन मंत्र
ॐ क्रीं कालिकायै कामकलारूपिण्यै आवाहयामि स्थापयामि पूजयामि नमः॥
3️⃣ मूल मंत्र
कामकला काली का गुप्त मंत्र:
ॐ क्रीं क्रीं क्रीं कामकलायै कालिकायै नमः॥
108 या 1008 बार जप करें।
माला: रुद्राक्ष या अर्द्धरत्न (स्पटिक/कौड़ी)।
4️⃣ तांत्रिक मैथुन साधना (गुप्त भाग)
साधक और साधिका (दीक्षित जोड़ा) मिलकर काली यंत्र के सामने बैठें।
काली मंत्र का जप करते हुए रति-क्रिया करें।
चरमोत्कर्ष (orgasm) के समय मंत्र का उच्चारण और ध्यान काली के रति स्वरूप पर केंद्रित हो।
वीर्य और रज को कामकला अमृत मानकर देवी को अर्पित समझें।
इससे शक्ति का रूपांतरण (Transmutation) होता है और साधक को तांत्रिक सिद्धि मिलती है।
5️⃣ साधना के फल
अपार आकर्षण और सम्मोहन शक्ति
रति और यौन आनंद की पराकाष्ठा
तांत्रिक सिद्धि और भोग-विलास की प्राप्ति
धन, समृद्धि और ऐश्वर्य
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