शनिवार, 16 अगस्त 2025

कामकला काली साधना विधान

“काम कला काली” (Kāma Kalā Kālī) के साधना अत्यंत गुप्त तांत्रिक परंपरा का हिस्सा है, जो काम शक्ति (यौन ऊर्जा) को काली उपासना में समर्पित करके साधक को सिद्धि, मोक्ष, रति-आनंद, आकर्षण और भोग-विलास दिलाती है।

🔱 काम कला काली का स्वरूप

यह काली का कामरूप है, जो रति और तांत्रिक मैथुन से जुड़ी है।

इन्हें कामकलामयी महाकाली, कामेश्वरी काली, या रतिरूपिणी काली भी कहा गया है।

इनकी पूजा मुख्यतः कामकला तंत्र, वाममार्ग साधना, और तांत्रिक मैथुन में की जाती है।

🕉️ साधना का समय और स्थान

समय: अर्धरात्रि (विशेषकर अमावस्या, गुप्त नवरात्रि, काली जयंती)

स्थान: श्मशान, एकांत मंदिर, या गुप्त कक्ष

दिशा: दक्षिण या पूर्व की ओर मुख

व्रत: मांस, मदिरा, मैथुन आदि पंचमकारक का उपयोग तांत्रिक परंपरा अनुसार

🔮 आवश्यक सामग्री

कामकला काली यंत्र (भोजपत्र/ताम्रपत्र पर सिद्ध)

काली का चित्र/मूर्ति (कामरूप स्वरूप)

लाल वस्त्र

रक्तवर्णी फूल (गुड़हल, कमल)

चंदन, सिंदूर, काजल

मदिरा, मांस, मछली, मुद्रा, मैथुन (पंचमकारक)

इत्र, धूप, घी का दीपक

1️⃣ संकल्प

ॐ महाकाल्यै कामकलामयी देवी नमः  
अहं अमुक कार्य सिद्ध्यर्थे कामकला काली साधनां करिष्ये॥

2️⃣ आवाहन मंत्र

ॐ क्रीं कालिकायै कामकलारूपिण्यै आवाहयामि स्थापयामि पूजयामि नमः॥

3️⃣ मूल मंत्र

कामकला काली का गुप्त मंत्र:

ॐ क्रीं क्रीं क्रीं कामकलायै कालिकायै नमः॥

108 या 1008 बार जप करें।

माला: रुद्राक्ष या अर्द्धरत्न (स्पटिक/कौड़ी)।

4️⃣ तांत्रिक मैथुन साधना (गुप्त भाग)

साधक और साधिका (दीक्षित जोड़ा) मिलकर काली यंत्र के सामने बैठें।

काली मंत्र का जप करते हुए रति-क्रिया करें।

चरमोत्कर्ष (orgasm) के समय मंत्र का उच्चारण और ध्यान काली के रति स्वरूप पर केंद्रित हो।

वीर्य और रज को कामकला अमृत मानकर देवी को अर्पित समझें।

इससे शक्ति का रूपांतरण (Transmutation) होता है और साधक को तांत्रिक सिद्धि मिलती है।

5️⃣ साधना के फल

अपार आकर्षण और सम्मोहन शक्ति

रति और यौन आनंद की पराकाष्ठा

तांत्रिक सिद्धि और भोग-विलास की प्राप्ति

धन, समृद्धि और ऐश्वर्य

साधक के भीतर छिपी कुंडलिनी शक्ति का जागरण

गुरुवार, 10 जुलाई 2025

कामाख्या योनि स्तुतिगान

प्रिय साधक~साधिकाओं माँ कामाख्या जी का योनि रूप में पूजा की जाती हैं और योनि स्तुति सब पापों को मुक्त करती हैं जो इसका नित्य पाठ करता हैं नियमित इसको अधिकतर विद्धान लोग गुप्त रखे हैं पर हम तो ठहरे अघोरी साधको के ज्ञान के लिए सब रहस्य खोल दूँ कई विद्धान बोले की यह गुप्त हैं मत करो सार्वजनिक पर हम कहते हैं की हर गृहस्थ अघोरी नही बन सकता केवल साधरण पूजा पाठ कर सकता हैं।
ऐसे अपने साधक-साधिका के सुविधा के लिए हम दुर्लभ योनि तन्त्र को सबके लिए सुलभ कर रहे हैं हर कोई इसका पाठ करके लाभ उठाये !!!
_____________________________________
नियन~ योनि स्तुति पाठ के नियम कोई कठिन नही हैं रोज सुबह अपने नित्य कर्मो से निवृत होकर स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनकर धूप-दीप जलाकर पाठ करे !!!
: योनिस्तोत्रम्
"""""""""""""""""""""""""""""""
ॐभग-रूपा जगन्माता सृष्टि-स्थिति-लयान्विता ।
दशविद्या - स्वरूपात्मा योनिर्मां पातु सर्वदा ।।१।।
कोण-त्रय-युता देवि स्तुति-निन्दा-विवर्जिता ।
जगदानन्द-सम्भूता योनिर्मां पातु सर्वदा ।।२।।
कात्र्रिकी - कुन्तलं रूपं योन्युपरि सुशोभितम् ।
भुक्ति-मुक्ति-प्रदा योनि: योनिर्मां पातु सर्वदा ।।३।।
वीर्यरूपा शैलपुत्री मध्यस्थाने विराजिता ।
ब्रह्म-विष्णु-शिव श्रेष्ठा योनिर्मां पातु सर्वदा ।।४।।
योनिमध्ये महाकाली छिद्ररूपा सुशोभना ।
सुखदा मदनागारा योनिर्मां पातु सर्वदा ।।५।।
काल्यादि-योगिनी-देवी योनिकोणेषु संस्थिता ।
मनोहरा दुःख लभ्या योनिर्मां पातु सर्वदा ।।६।।
सदा शिवो मेरु-रूपो योनिमध्ये वसेत् सदा ।
वैâवल्यदा काममुक्ता योनिर्मां पातु सर्वदा ।।७।।
सर्व-देव स्तुता योनि सर्व-देव-प्रपूजिता ।
सर्व-प्रसवकत्र्री त्वं योनिर्मां पातु सर्वदा ।।८।।
सर्व-तीर्थ-मयी योनि: सर्व-पाप प्रणाशिनी ।
सर्वगेहे स्थिता योनि: योनिर्मां पातु सर्वदा ।।९।।
मुक्तिदा धनदा देवी सुखदा कीर्तिदा तथा ।
आरोग्यदा वीर-रता पञ्च-तत्व-युता सदा ।।१०।।
योनिस्तोत्रमिदं प्रोत्तंâ य: पठेत् योनि-सन्निधौ ।
शक्तिरूपा महादेवी तस्य गेहे सदा स्थिता ।।११।।
।। इति योनि स्तोत्रं सम्पूर्ण।।

अंबुवाची पर्व में माता कामाख्‍यादेवी रजस्‍वला हो जाती है । इस के पूर्व इस स्‍तोत्र से उस की सेवा किजीये और देखीये कितने अदभूत चमत्‍कार अपने आप को देखने केा मिलते है ।