बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

जीवन और गणित

जीवन और गणित 
दोनों विषय हैं गणना के 
प्रश्न चिन्ह के और कल्पना के  
दोनों का एक परिणाम है 
एक का मृत्यु और दूसरे का उत्तर 
उत्तर में ही छुपा है प्रश्न और मृत्यु में जीवन 
या फिर पलट कर देख लो फिर समीकरण 


जीवन और गणित 
सम्भावनाये अनंत हैं 
और विस्तार भी अनंत 
उतने ही अनंत है परिभाषा का सागर 
लेकिन फेर है कुछ अंको का और कुछ साँसों का 


जीवन और गणित 
बदल जाते हैं मूल्य दोनों के हर सूत्र पर 
जुड़ना और बढ़ना है या सुख दुःख का गुना भाग 
और दोनों में शून्य का भी सबसे बड़ा है मान 
एक शून्य आत्मा है और दूसरा अनंत 
इनके बिना दोनों विषय अपरिभाषित .....


जीवन और गणित 
दोनों के विषय में मुझे एक ही जानकारी है 
दोनों मेरी प्रतिभा और चेतना के सृजनकर्ता हैं 
लेकिन मुझे याद है बचपन से 
जब से इनको सीखने की कितनी ही कोशिश की 
लेकिन दोनों विषय से मै दूर ही भागता गया 

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