
दोनों विषय हैं गणना के
प्रश्न चिन्ह के और कल्पना के
दोनों का एक परिणाम है
एक का मृत्यु और दूसरे का उत्तर
उत्तर में ही छुपा है प्रश्न और मृत्यु में जीवन
या फिर पलट कर देख लो फिर समीकरण
जीवन और गणित
सम्भावनाये अनंत हैं
और विस्तार भी अनंत
उतने ही अनंत है परिभाषा का सागर
लेकिन फेर है कुछ अंको का और कुछ साँसों का
जीवन और गणित
बदल जाते हैं मूल्य दोनों के हर सूत्र पर
जुड़ना और बढ़ना है या सुख दुःख का गुना भाग
और दोनों में शून्य का भी सबसे बड़ा है मान
एक शून्य आत्मा है और दूसरा अनंत
इनके बिना दोनों विषय अपरिभाषित .....
जीवन और गणित
दोनों के विषय में मुझे एक ही जानकारी है
दोनों मेरी प्रतिभा और चेतना के सृजनकर्ता हैं
लेकिन मुझे याद है बचपन से
जब से इनको सीखने की कितनी ही कोशिश की
लेकिन दोनों विषय से मै दूर ही भागता गया
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