बन भीष्म ग्रीष्म लगा मचलने
ऋतू राज ने अंदाज़ बदले
भानु रश्मि लगी जलने
चहुँ और तांडव उष्णता का
बन भीष्म ग्रीष्म लगा मचलने .........
धूलित मलय की लालिमा
चहुँ और तपती वेदना
मेघ गर्जन लगा करने
बन भीष्म ग्रीष्म लगा मचलने .........
खग विहग विचलित ताकते
वन वृक्ष छाँव निहारते
जल स्रोत पात्र लगे टपकने
बन भीष्म ग्रीष्म लगा मचलने .........
चहुँ और सूनी दोपहर
अनगिनत विषधर का गमन
बहु ब्याधि घर घर लगी विचरने
बन भीष्म ग्रीष्म लगा मचलने .........
चराचर में प्रार्थना स्वर
बरस जा ऐ मेघ घर घर
बन सावन आ जाओ तृप्त करने
बन भीष्म ग्रीष्म लगा मचलने ......... मनोज
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