मोहोबत्त कम नहीं होती खुदा के इस घराने में
हजारों ख्वाहिशें पल कर जवां है दिल दीवाने में //
फलक तक साथ चलने के पलक में ख्वाब रखे हैंझलक काफी है दरिया को समंदर तक बहाने में//
तमन्ना की जमीं पर ख्वाब पकने दो मेरे हमदम
सुना है ख्वाब ही सच बन गए हैं अब जमाने में //
दिलों के हाल को अक्सर कोई फनकार जब गाये
झलक उस यार की अक्सर नजर आई तराने में //
मुकम्मल रास्ते में छोड़ कर क्यूँ साथ जाते हो
मेरी मंजिल ही काफी है नए घर को बसाने में //
कभी आओ मेरे घर में तुम्हारी याद रहती है
उन्हें तुम साथ ले जाना मै जी लूँगा वीराने में //
तुम्हारा नाम जब मै लूं जमाना कह्कहें मारे
उन्हें क्या चैन मिलता है मुझे यूँ कर सताने में //
मुझे मालूम है तुम भी कभी तो लौट आओगे
कभी तुम भी दिखोगे चश्मे नम मुझको मनाने में //..........मनोज
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