कट रही है जिन्दगी मौत की तलवार पर
नाव डोले जा रही है वक्त के मझदार पर ।।
आम जनता की किसे परवाह है खुद देखिये
सरकार की चाहत लिए सब चिढ रहे सरकार पर ।।
रोटियों की फ़िक्र में कुचला उसे जिस सड़क पर
आज फिर चलने लगी है जिन्दगी रफ़्तार पर ।।
श्री राम मर्यादा पुरुष आदर्श था जिस कौम का
चोर लक्ष्मी के वही हैं खबर है अखबार पर ।।
जिन्दगी में बोझ क्या है पूछिए उस शख्स से
है जेब खाली जिंदगी भी बोझ है परिवार पर ।।..............मनोज
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