कभी खुद को मनाने में कभी तुमको मनाने में
खुदा भी रात दिन हमको लगा है आजमाने में ||
हमारे प्यार की मंजिल जुदाई ही मुनासिब है
मिलन के रास्ते सब बंद हैं अपने जमाने में ||
घडी भर को गिरा दो आज ये चकबंदिया दिल की
सुहागन रात सजने दो ख़यालों के खजाने में ||
तजुर्बेकार लोगों ने बहुत रोका बहकने से
कदम फिर भी नहीं सम्हले तुम्हारे पास आने में ||
नए घर की तमन्ना में , कहीं सब छूट ना जाए
अभी भी लौट आ जाओ पुराने आशियाने में ||
भरोसा है मुझे अब भी खुलेगी रात मावस की
उगेगा आस का सूरज अँधेरे कैदखाने में ||
अभी तुम भी अकेली हो अभी मै भी अकेला हूँ
बुरा क्या है मिलन के गीत फिर से गुनगुनाने में ||
अभी दो दिन बचे हैं चार दिन की जिंदगानी के
कहीं ये बीत ना जाएँ फकत सुनने सुनाने में ||
कभी खुद को मनाने में कभी तुमको मनाने में
खुदा भी रात दिन हमको लगा है आजमाने में ||
.........manoj .............
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