चलो अच्छा हुआ सच्चाइयों से सामना होगा
मुझे ना चाह कर भी हाथ उनका थामना होगा ||
किया सौदा मुहोब्बत का उन्होंने शर्त ये रक्खी
मुझे अब प्यार भी एहसान जैसे मांगना होगा ||
कभी पूछी नहीं हमसे किसी ने ख्वाहिशें अपनी
पराई ख्वाहिसों को ही मुझे बस जानना होगा ||
जहाँ पर भी गया मुझसे सभी ने ये शिकायत की
जमाने के रिवाजों को हमें भी मानना होगा ||
अमावास रात में देखा हुआ एक ख्वाब से थे तुम
सुबह आई कहा मुझसे चलो अब जागना होगा ||
मिला वो जो नहीं चाहा ,जिसे चाहा उसे खोया
खुदा ये भी बता दे अब कहाँ तक भागना होगा ||
जिसे देखो मुहोब्बत पर बड़ा बेबाक कहता है
मुझे इस लफ्ज को ही जिंदगी भर त्यागना होगा ||
चलो अच्छा हुआ सच्चाइयों से सामना होगा
मुझे ना चाह कर भी हाथ उनका थामना होगा ||
मनोज नौटियाल
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