मै आभा वेद पुराणों की ,उपनिषदों की विख्याता हूँ
क्यों भूल रहे हो लाल मुझे मै सबकी भारत माता हूँ ||
मेरे गौरव को याद करो मै मर्यादा थी रघुकुल की
कण कण मे शिव बसते थे मै आराध्या थी गोकुल की
केशव ने मेरी खातिर ही रण में गीता गान किया था
मुझे बचाने की खातिर ही शिव ने विष का पान किया था
अहंकार वश मेरी अस्मत को क्यूँ ऐसे लूट रहे हो
ना भूलो मै दुर्गा भी हूँ , मै काली की भी गाथा हूँ ||
मैंने रावण की लंका को मिटटी में मिलते देखा है
दुर्योधन के अहंकार के सूरज को ढलते देखा है
जब भी दुश्मन ने धोखे से मेरे गौरव को ललकारा
मेरे बलिदानी वीरों ने जान गवां कर मुझे उबारा
मुझे सिर्फ भू खंड समझने वाले अंधे धृष्ट समझ लें
जाने कितनी कौरव सेना के संहारों की ज्ञाता हूँ ||
मनोज
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