शुक्रवार, 27 मई 2016

कुछ ख्वाब आंसुओं की सीलन में ,गल गए

कुछ ख्वाब आंसुओं की सीलन में ,गल गए
जज्बात कुछ हसीन करारों में ,ढल गए।।

महफ़िल में आज उनका ,अंदाज देखिये
चुपचाप अजनबी से ,बचकर निकल गए ।।

हम मांगते ही रह गए,परछाइयों का साथ
हर बार अक्स लेकिन , उनके बदल गए ।।

इक रोज टूट जाएगा  , ये प्यार का महल
विश्वाश के कभी जो ,पत्थर पिघल गए ।।

अब दिल भी कह रहा है , हो जाएगा फ़ना
ये हौसले अगर कभी ,फिर से मचल गए ।।

हम बिक गए वफ़ा में , कौड़ी के दाम पर
उनके फरेब वाले , सिक्के भी चल गए ।।

कुछ ख्वाब आंसुओं की सीलन में ,गल गए
जज्बात कुछ हसीन करारों में ,ढल गए।।

मनोज नौटियाल

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