रविवार, 20 सितंबर 2020

सम्मोहन

सुप्रभातम मित्रों , जय माता दी ।

बड़ी प्रसिद्ध लोकोक्ति है कि , " आपका व्यवहार ही आपका परिचय है "।

तंत्र में सम्मोहन शक्ति एवं इस शक्ति को बढ़ाने तथा इसके चमत्कारिक लाभ का वर्णन काफी मिलता है । 
बहुत सी साधना , टोटके तथा विभिन्न प्रकार की दुर्लभ जड़ी बूटियों द्वारा सम्मोहन शक्ति को बढाने के हजारों उपयोग तंत्र में बताए गए हैं ।

वैदिक सनातन शास्त्र में वाणी में माँ सरस्वती का वास बताया गया है एवं , मनभावन वाणी द्वारा इंसान ही नहीं बल्कि किसी भी जीव जंतु को आप वश में कर सकते हैं ।

दोस्तों , हम अक्सर कई बार महसूस करते हैं , अथवा बहुत से मित्र हैं जो कई वर्षों से अपने कार्य क्षेत्र में कार्यरत हैं किंतु उनका सामाजिक दायरा बढ़ता ही नहीं है । जिस व्यक्ति से वे एक बार मिलते हैं , वह व्यक्ति धीरे धीरे उनसे कटने लगता है । 

ऐसे मित्रों के मित्र अथवा जानकार भी बहुत सीमित होते हैं अथवा जो मित्र होते भी हैं ,वे संख्या में बहुत कम होते हैं । 

इस लेख में मैं ऐसे मित्रों को कुछ अपने अनुभव से प्राप्त तथा बुद्धिजीवी संत , महात्माओं की यस्तकों से पढ़े हुए अनुभवों के आधार पर कुछ सूत्र बताऊंगा जो उनकी इस परेशानी का हल निश्चित रूप से कर देंगे । 

1. सर्वप्रथम ज्योतिष के अनुसार , बुद्ध एवम शुक्र ग्रह को  हमारे व्यक्तित्व एवं वाक शक्ति तथा बुद्धि का कारक माना जाता है । 
जो मित्र , लोगों से जुड़ नहीं पाते अथवा लोग उनसे अकारण कटने लगते हैं तथा दूर होने लगते हैं , वे अपनी पत्रिका में बुद्ध एवम शुक्र की स्थिति का पता किसी योग्य ज्योतिषी से करवाकर उससे संबंधित उपाय करके लाभ ले सकते हैं ।

सामान्यतः , बुद्ध एवं शुक्र ग्रह को शुभ करने के लिए , साफ स्वच्छ जीवन शैली , वस्त्र चमकदार तथा light color के कपड़े पहनें , केसर का तिलक लगाएं , गणेश एवं दुर्गा की नियमित उपासना करें , सूर्य को जल दें , पन्ना , फिरोजा और ओपल पहनें । 

नोट- कोई भी रत्न अथवा अन्य वैदिक या तांत्रिक उपाय करवाने से पहले , अपनी पत्रिका का किसी योग्य जानकार ज्योतिषी से अध्ययन अवश्य करवाएं । 

2. तंत्र एवं वैदिक विचारधारा के अनुसार "मौन व्रत " सम्मोहन क्षमता विकसित करने में जबरदस्त योग है ।
 यदि संभव हो तो हफ्ते में 1  पूरे दिन मौन रहने का प्रयास करें , किन्तु आजकल यह सबके लिए संभव नहीं है एसलिये , कमसे कम सुबह शाम 1 घंटे एक जगह पर शांत हो कर मौन का अभ्यास करें । 

नोट- मौन साधना का मतलब है सिर्फ मुहँ बंद नहीं बल्कि मन के विचारों को भी जितना संभव हो शांत करें , आंतरिक शोर आजकल हर मनुष्य में इतना अधिक है कि वह शोर हमारे बोलने से भी ज्यादा खतरनाक है । 

3- "त्राटक " साधना से सम्मोहन शक्ति सबसे जल्दी विकसित होती है । त्राटक हेतु अपनी योग्यता के लिए किसी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें । बिंदु त्राटक , या दीपक पर त्राटक करना अधिकतर मामलों में लाभ की जगह भयानक हानि दे सकता है , एसलिये किसी किताब पे पढ़ कर मनमर्जी से इस चक्कर मे ना पड़ें।

4- अंतिम बात , जो सामान्य मनोविज्ञान से सम्बंधित है । 
वो ये कि , कभी भी अपने विचार अथवा अपनी धारणा किसी पर थोपने की कोशिश ना करें । दूसरे को अधिक से अधिक सुनने की कोशिश कीजिये । वाद विवाद से बचें , दूसरे के विचारों का सम्मान करें , या फिर यदि आप किसी के विचारों से सहमत नहीं हैं तो उनका विरोध या फ़िर विवाद करने की बजाय शांति से बस मुस्कुरा कर के दूसरे की बात को माने बिना चुप हो जाएं । 
 दोस्तों , हम अक्सर खुद की जांच पड़ताल से ज्यादा दूसरे की आदतों और दूसरे की गलतियों को खोजने में ज्यादा व्यस्त हो जाते हैं , जिस कारण हम धीरे धीरे एक ऐसे अहंकार से भर जाते हैं कि हमे अपनी गलती और अपने दुर्गुणों का पता ही नहीं चल पाता । 

याद रखें दोस्तों " ज्ञानी , उच्चकुल में जन्म , वेदपाठी , नीतिज्ञ , होने के बाद भी रावण को सिर्फ उसका अहंकार और दूसरे को हमेशा गलत समझने की आदत ने पतन कर दिया । 

जय श्री राम ।
जयमहाकाल काली ।
मानोज नौटियाल 
तंत्र , वैदिक ज्योतिष एवं ध्यान विशेषज्ञ 
चंडीगढ़ 
9041032215

1 टिप्पणी: