बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

चल पड़े हैं बाँध कर सामान तेरे शहर से

अलविदा कह प्यार को इस भरी दोपहर में 
चल पड़े हैं बाँध कर सामान तेरे शहर से //

भूल जाने के लिए कसमे तुम्हारी याद है 
संग फिर भी ले चले हैं याद तेरे शहर से //

प्यार से लिखे हुए कुछ खत हमारे पास हैं
जला देंगे हम उन्हें उस पार तेरे शहर से //

टूट कर मै जा रहा हूँ ये कभी मत सोचना
हर घाव भर कर जा रहा हूँ यार तेरे शहर से //

कल रात से ही पी रहा था होश लाने के लिए
होश में निकला हूँ मै इस बार तेरे शहर से //

मुड के देखा आज तो मालूम पड़ता है हमें
कुछ याद आया हमें भी था प्यार तेरे शहर से //

यूँ तो इक संदूकडी में याद अब भी साथ है
ले लिया बाजार से सामान तेरे शहर से //

मै अकेला हूँ- अकेला- ही रहूँगा उम्र भर
दिल भूल कर आया कहीं इसबार तेरे शहर से //............... मनोज

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