अलविदा कह प्यार को इस भरी दोपहर में
चल पड़े हैं बाँध कर सामान तेरे शहर से //
भूल जाने के लिए कसमे तुम्हारी याद है
संग फिर भी ले चले हैं याद तेरे शहर से //
प्यार से लिखे हुए कुछ खत हमारे पास हैं
जला देंगे हम उन्हें उस पार तेरे शहर से //
टूट कर मै जा रहा हूँ ये कभी मत सोचना
हर घाव भर कर जा रहा हूँ यार तेरे शहर से //
कल रात से ही पी रहा था होश लाने के लिए
होश में निकला हूँ मै इस बार तेरे शहर से //
मुड के देखा आज तो मालूम पड़ता है हमें
कुछ याद आया हमें भी था प्यार तेरे शहर से //
यूँ तो इक संदूकडी में याद अब भी साथ है
ले लिया बाजार से सामान तेरे शहर से //
मै अकेला हूँ- अकेला- ही रहूँगा उम्र भर
दिल भूल कर आया कहीं इसबार तेरे शहर से //............... मनोज
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें