बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

गाय को गोविन्द ने भी माँ कहा इस देश में

गाय को गोविन्द ने भी माँ कहा इस देश में
राम ने भी धेनु की खातिर कहा शंदेश में
जन्म दात्री माँ कही जाती सभी को है पता
मुक्ति दात्री हो रही है क़त्ल अपने देश में//

मत भूल भारत वंश गौ , गोपाल , गंगा के बिना
मुक्ति पायेगा नहीं अंतस तेरा इनके बिना
खो रहा है साध्य को तू स्वार्थ के परिवेश में
मुक्ति दात्री हो रही है क़त्ल अपने देश में//

जन्म से लेकर मरण तक गाय माँ की अर्चना
चहुँ वेद भी कहते जिसे हर ऋचा की वंदना
शिव जिसे कह शक्ति पूजे पार्वती के वेश में
मुक्ति दात्री हो रही है क़त्ल अपने देश में//

धर्म के हर नाम को तुमने बनाया क़त्ल गाह
इंसान की इंसानियत से धर्म क्या दूजा बड़ा 
इतिहास का परिहास है तेरे नए सन्देश में
मुक्ति दात्री हो रही है क़त्ल अपने देश में//

गजानन बनते यहाँ पर गाय के अवशेष से
वर है वो गोबर हुआ था स्वर्ण पक्षी देश ये
गो मूत्र से बहु व्याधियों का अंत है चहुँ वेद में
मुक्ति दात्री हो रही है क़त्ल अपने देश में//

भूधारा की लाडली ताके खड़ी नाली गली
भूख से है त्रस्त माँ थी जो कभी गोकुल गली
हे श्याम गोवर्धन बिहारी जन्म ले फिर देश में
मुक्ति दात्री हो रही है क़त्ल अपने देश में//............................मनोज

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