बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

दोहे एक प्रयास

हिंदू गीता बांचता मुस्लिम पढ़े कुरान 
धर्मों में भटका हुआ कलयुग में इंसान ||

एक सत्य है ,एक ही मूल सभी का जान 
रक्त सभी का रक्त है फिर क्यूँ ये संग्राम ||

घर घर में है बेटियां , हर आंगन का फूल 
मिटा इन्हें मिट जाएगा ये मत बंदे भूल ||

काशी में भी शान्ति हैं काबा में भी चैन 
कैसे तू बरसायेगा बिन बादल की रैन ||

धर्म सेतु है कर्म का , सत्य कहीं है और 
....धर्म अंध हो याद रख ना पायेगा ठौर||

जितना खुद को भूल कर बेचोगे ईमान 
जन्म मौत का हो गया कहते वेद पुराण ||

खुद के घर को देख कर देखो और निवास 
सब घर में है शांति का परचम और प्रकाश ||

घर मंदिर बन जाएगा कहत मनोज सुझाय 
........कट्टरता के धर्म को दीजो आग लगाय ||...................मनोज

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