तुम्हारे आखिरी ख़त में लिखी उस बात की खातिर
भुला दूंगा तुम्हे आखिर तेरे जज्बात की खातिर ||
सुना है याद आने पर बरसते हैं शरार -ए -चश्म
कभी रोना नहीं है अब तुम्हारी याद आने पर ||
हमारी चाहतों का क़त्ल होने दो फ़ना हमको
बदल देंगे खयालों को तुम्हारी याद की जद पर ||
जवाबी कारवाई में अमन की बात मत छेड़ो
हुए बर्बाद हैं अब तक कई परिवार सरहद पर ||
तुम्हारी मुस्कराहट पर फ़िदा हूँ जानती हो तुम
तुम्हारे आंसुओं से टूट जाऊँगा जुदा होकर ||
सुना है क़त्ल होते हैं हसीनों की निगाहों से
चलो गर्दन झुकी है फेंक दो ये वार ही मुझ पर ||
हमारे इश्क का किस्सा किसी को मत सुनाना तुम
कहेंगे बेवफा तुमको कभी हमको इसे सुनकर ||.................. मनोज
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