21वीं सदी में भारत की स्थिति पर
अबला की अस्मत लुटती है ,हिन्दू ,हिंदुस्तान नहीं है
बेईमानों के राज तन्त्र में भारत की पहचान यही है ||
खादी बर्बादी करने में सबसे आगे खड़ी रहेगी
खाखी वर्दी में अपराधी भोली जनता डरी रहेगी
घोटालों का लोकतंत्र में काला चिटठा खोलेगा जो
देशद्रोह लगेगा उस पर जनहित भाषण बोलेगा जो ||
कारावासी चला रहे हैं देश , बचा ईमान नहीं है
बेईमानों के राज तन्त्र में भारत की पहचान यही है ||
आम नागरिक रोते- रोते गली- गली खायेगा ठोकर
पांच साल में कुछ दिन लेकिन कहलायेगा सच्चा वोटर
कुर्सी के चोरों की महफ़िल फिर से दिल्ली में सोएगी
अगले पांच साल को जनता पुनः नया रोना रोएगी ||
मोबाइल घर घर हैं लेकिन खाने का सामान नहीं है
बेईमानों के राज तन्त्र में भारत की पहचान यही है ||
पूर्ण धर्म निरपेक्ष राष्ट्र में आरक्षण का रोना होगा
शिक्षा का अधिकार उसे है जिसके घर में सोना होगा
अफसर शाही रिश्वत लेकर अपने रिश्तेदार भरेंगे
वही योग्य कहलायेगा जो दिन में दो के चार करेंगे ||
जो जितना मोटा अपराधी कलयुग में भगवान वही है
बेईमानों के राज तन्त्र में भारत की पहचान यही है ||
नौ दिन घर घर में माता के जयकारे गाये जायेंगे
और रात नवजात लाडली की हत्या करके आयेंगे
कभी सामूहिक कभी अकेले नोचेंगे नारी के तन को
और अगले दिन यही दरिन्दे रौन्देंगे बेसुध बचपन को
ऐ भारत की सीता माता तेरा अब सम्मान नहीं है
बेईमानों के राज तन्त्र में भारत की पहचान यही है ||
मनोज नौटियाल
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