कल्पनाओं के सितारों को नवल आकाश दे दो
दर्द की तपती बयारों को तरल एहसास दे दो ||
मोम के पुतले मिले मुझको मुहोब्बत की डगर में
गल गए वो रास्ते में जिंदगी की दोपहर में
रह गए सम्बन्ध केवल रेत के सुनसान टीले
बो दिए भगवान ने भी दर्द के बाड़े कंटीले
वक्त रहते भूल कर सब लौट आओ साथ मेरे
या अधूरी वासनाओं को नया वनवास दे दो ||
भाल पर जलते रहे हैं कल्पनाओं के दिवाकर
रात भर छलते रहे हैं , प्रेम के दो चार आखर
द्वन्द की लंका बनाता ही रहा है रोज रावण
राम से अनुबंध करता रह गया झूठा विभीषण
बन जटायु तुम मुझे निर्देश दे दो जानकी का
या अहिल्या की तरह मुझको चरण का वास दे दो ||
मन हवन सा जल रहा है चीरने को ये अँधेरा
हर नया गंतव्य मुझसे पूछता है नाम मेरा
कौन हूँ मै प्रश्न मुझको रात दिन अज्ञात पूछे
वासना के कौरवो ने दे दिए उत्तर समूचे ||
तुम मेरे कुरुक्षेत्र में बन कृष्ण गीता गान कर दो
या सुदामा की तरह मुझको कठिन उपवास दे दो ||
मै स्वयम्बर की तुम्हारी शर्त पूरी कर रहा हूँ
मै बिना सोचे सही या व्यर्थ पूरी कर रहा हूँ
शिल्प सच्चे प्रेम का गढ़ने समर्पण की धरा पर
घर बनाने को मेरी हाँ है अँधेरी कन्दरा पर
तुम रूप के इस चंद्रमा से लाज के बादल हटा दो
या अमावास रात खुलने का मुझे विश्वास दे दो ||
कल्पनाओं के सितारों को नवल आकाश दे दो
दर्द की तपती बयारों को तरल एहसास दे दो ||
मनोज नौटियाल
मनोज नौटियाल
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