मै अभी भी हूँ जिसे तुम प्यार कहते हो प्रिये |
मै अभी भी गाँव के निर्दोष ग्वालों में मिलूंगा
मै अभी भी माँ यशोदा के निवालों में मिलूंगा
गाँव की भोली सुशीला के ख़यालों में मिलूंगा
हल चलाते नन्द बाबा के सवालों में मिलूंगा
गाँव को अब भी सुखी संसार कहते हैं प्रिये
मै अभी भी हूँ जिसे तुम प्यार कहते हो प्रिये ||
आज भी मै नाचता हूँ मोर की अंगड़ाइयों में
कूकता हूँ कोकिला बन मै घनी अमराइयों में
बैठता हूँ आज भी मै नीम की परछाइयों में
दौड़ता हूँ आज भी मै शाम की पुरवाइयों में ||
इस धरा को आज भी केदार कहते हैं प्रिये
मै अभी भी हूँ जिसे तुम प्यार कहते हो प्रिये ||
मै सगर्भा पंछियों द्वारा बनाया घोसला हूँ
पेड़ पर छत्ता बने मधुमक्खियों का हौसला हूँ
तितलियों का पंख फैला नाचने की मै कला हूँ
साथ मिलकर बोझ ढोते चीटियों का फैसला हूँ
पीढ़ियों को आज भी परिवार कहते हैं प्रिये
मै अभी भी हूँ जिसे तुम प्यार कहते हो प्रिये ||
आज भी दादी मुझे हर रात गाये लोरियों में
और दीदी प्यार से जामुन रखे अलमारियों में
माँ मुझे पहचानती है लाल की किलकारियों में
रंग भर भर फेंकते हैं यार सब पिचकारियों में ||
सब मुझे इस गाँव में त्यौहार कहते हैं प्रिये
मै अभी भी हूँ जिसे तुम प्यार कहते हो प्रिये ||
मै अभी भी भाइयों के प्रेम के अधिकार में हूँ
मै अभी भी भाभियों के निर्विकारित प्यार में हूँ
मै अभी भी खेत में मेहनत किये श्रृंगार में हूँ
मै अभी भी कर्म के सीधे सरल संसार में हूँ ||
क्यूँ मुझे तुम आज अब व्यापार कहते हो प्रिये
मै अभी भी हूँ जिसे तुम प्यार कहते हो प्रिये ||
मनोज
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