पुराना ख़त मिला उनका अचानक आज कमरे में
वफ़ा का काफिला निकला अचानक आज कमरे में ।।
हर इक एहसास लिखा था , रहेगा पास लिखा था
वो वादा खोखला निकला अचानक आज कमरे में ।।
मुझे बेबाक हो कहना , तुम्हारे बिन नहीं रहना
वो शिकवा वो गिला निकला अचानक आज कमरे में ।।
ये ख़त इकरार था उनका , मैं पहला प्यार था उनका
पुराना सिलसिला निकला अचानक आज कमरे में ।।
ये मन भरता नहीं पढ़ के , नजर हटती नहीं ख़त से
ये कैसा जलजला उठा अचानक आज कमरे में ।।
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मनोज नौटियाल
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