रविवार, 29 मई 2016

हर कर दिल मिटे हैं ........गजल

हार कर दिल मिटे हैं, सभी फासले
जीत को जीतने के ,चले सिलसिले ।।

इस जनम,में यही ,माँगता हूँ दुआ
हर जनम में मुझे साथ, तेरा मिले ।।

हम गलतफहमियों को ,भुलाकर सनम
साथ सुलझाएंगे ,सारे शिकवे गिले ।।

अपने अरमान, सारे मुझे सौंप कर
तुम मेरी ख्वाहिसों, को लगा लो गले ।।

चाँद तारे सभी हैं, गवाह रात के
ये मिलन की घड़ी, फिर मिले ना मिले ।।

संगेमरमर तुम्हारा, बदन देख कर
अब बहकने लगे हैं , मेरे हौसले ।।

बाँध शर्म-ओ-हया के, सभी तोड़ कर
बह रहे  हसरतों के, सभी काफिले ।।

हार कर दिल मिटे हैं, सभी फासले
जीत को जीतने के, चले सिलसिले ।।

मनोज नौटियाल
20:31pm 29-05-2016

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें