बदल कर करवटें ,वो रात भर जब ,सोचता होगा
सुबह बिस्तर में उतरी, सलवटों को, देखता होगा ।।
कदम फिर से बढ़ाने को, मुहोब्बत बोलती होगी
हया का मखमली घूँघट , तमन्ना खोलती होगी
अकेलापन ,उन्हें उनका ,अचानक रोकता होगा
बदल कर करवटें, वो रात भर ........................
कभी भी जब वफाओं के , तराने गूंजते होंगे
अभी भी वो क़यामत की ,हदों को पूछते होंगे
कि उनके पास जाने का , कोई तो रास्ता होगा
बदल कर करवटें , वो रात भर ..................
हवा का जब कोई झोंखा ,गया होगा उन्हें छूं कर
हुआ होगा वहम उनको , गया कोई उन्हें छूं कर
किसी बेजान तकिये से ,लिपट कर सो गया होगा
बदल कर करवटें ,वो रात भर जब ,सोचता होगा
सुबह बिस्तर में उतरी, सलवटों को, देखता होगा ।।
मनोज नौटियाल 29- 05-2016
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